No icon

जाड़ों में स्वस्थ रहने के लिए सावधानियाँ

जाड़ों में स्वस्थ रहने के लिए क्या क्या सावधानियां बरतें winter precaution

 

  1. अधिक जाड़ों में कुछ लोगों के पैर व हांथों की उगलियाँ सूज कर लाल हो जाती हैं और उन में दर्द व खुजली होती है. इसे चिलब्लेंस (chilblains) कहते हैं. जिन लोगों को जाड़ों में इसकी शिकायत होती है उन्हें इससे बचने के लिए सर्दी आरम्भ होते ही लगातार ऊनी मोज़े पहनना चाहिए (सोते समय भी) व बाहर निकलते समय दस्ताने भी पहनना चाहिए. जिन लोगों को अधिक परेशानी होती है वे अपने फैमली डॉक्टर से सलाह लेकर काम्प्लामिना की गोली सुबह शाम ले सकते हैं व उँगलियों पर स्टीराइड क्रीम लगा सकते हैं.
  2. जाड़ों में साँस की बीमारी बढ़ जाती है. साँस के मरीजों को धूल, धुंआ, ठण्ड व कोहरे से बचना चाहिए एवं इन्हेलर का प्रयोग नियमित रूप से करना चाहिए. खाने की दवाओं के मुकावले इन्हेलर्स में साइड इफैक्ट बहुत कम होते हैं. साँस के मरीजों को पीने और नहाने के लिए गुनगुना पानी प्रयोग करना चाहिए. अपने को गर्म रखने के लिए हीटर, ब्लोअर, हीटिंग पैड या गर्म पानी की बोतल का प्रयोग कर सकते हैं. सामान्यत: आग तापने से बचना चाहिए और यदि आग तापें तो यह ध्यान रखें की आग में धुंआ न हो.
  3. जाड़ों में ब्लड प्रेशर बढ़ता है इसलिए सर्दी बढ़ते ही अपने डॉक्टर को ब्लड प्रेशर दिखा कर दवाओं की डोज़ बढ़वा लेनी चाहिए एवं नमक, तली चीजें, चाय व कॉफ़ी कम लेना चाहिए. गर्मी आने पर दवा की डोज फिर से एडजस्ट करा लेनी चाहिए.
  4. हृदय रोगियों की परेशानी भी जाड़े में बढ़ जाती है इसलिए उन्हें जाड़े से बचना चाहिए व दवाएं नियमित रूप से खानी चाहिए. जाड़ों में हार्ट अटैक की संभावना अधिक होती है इसलिए थोड़ी सी ही परेशानी होने पर डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए. हृदय पर पड़ने वाला लोड कम करने के लिए डाईयुरेटिक दवाएं दी जातीं हैं. इनसे पेशाब अधिक आती है. जाड़ों में पेशाब आना और बढ़ जाता है इसलिए कुछ हृदय रोगी इन दवाओं को बंद कर देते हैं. ऐसा करने से हार्ट फेलियर की संभावना बहुत बढ़ जाती है इसलिए इन दवाओं को कभी बंद नहीं करना चाहिए.
  5. जाड़ों में गठिया व स्पोंडीलाइटिस के दर्द बढ़ जाते हैं. इनसे बचने के लिए ऊनी कपड़े ठीक से पहनना चाहिए व नियमित व्यायाम करना चाहिए. दर्द निवारक दवाएं कम से कम खाना चाहिए क्योंकि यह ब्लड प्रेशर बढाती हैं, हृदय व गुर्दों को हानि पहुंचाती हैं एवं इनसे अल्सर हो सकता है. सिकाई, मलने वाली दर्द निवारक क्रीम एवं पैरासीटामाल की गोलियों का प्रयोग कर सकते है.
  6. जाड़ों में त्वचा में खुश्की हो जाती है. अधिक आयु के लोगों में खाल में क्रैक्स आने लगते हैं व खुजली होने लगती है. इसमें तेल मालिश नहीं करनी चाहिए व डेटाल साबुन नहीं लगाना चाहिए. नहाने के लिए ग्लिसरीन युक्त साबुन का प्रयोग करना चाहिए एवं नहाने के बाद मोइस्चराइजिंग क्रीम लगानी चाहिए.
  7. जाड़ों में अक्सर लोग बंद कमरे में जलती हुई अंगीठी या गैस बर्नर रख लेते हैं या बंद बाथरूम में गैस गीजर जला कर नहाते हैं. बंद स्थान पर कोयला या गैस जलाने से आक्सीजन कम हो जाती है व कार्बन मोनोआक्साइड बनने लगती है जो बहुत जहरीली होती है. इससे बचने के लिए बंद कमरे में कभी अंगीठी या गैस नहीं जलानी चाहिए.
  8. गठिया के दर्द व साँस के लिए कुछ ठग लोग देशी दवाओं की पुडिया बेंचते हैं. इन सब में बेटनीसाल आदि स्टीराइड दवाएं मिली होती हैं जोकि तुरंत आराम पहुंचाती हैं पर शीघ्र ही मरीज इनका आदी हो जाता है. लम्बे समय में यह शरीर को अत्यधिक हानि पहुंचाती है. इस प्रकार की दवाएं कभी नहीं खानी चाहिए.

यह लेख डॉ शरद अग्रवाल जी द्वारा लिखा गया है।  उनकी वेबसाइट  www.healthhindi.in पर आप तमाम बिमारियों से सम्बंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं 

डॉ. शरद अग्रवाल एम डी

MD MEDICINE

SHARAD CLINIC. SOOD DHARAM KANTA. BAREILLY

 

Comment