कथकली का संधिविच्छेद , कथा मतलब कथा सुनाना और कली मतलब नृत्य कलाएं होता है . ज़्यादातर लोग कथकली और कत्थक मे भ्रमित हो जाते हैं . गौर करने वाली बात ये है की इन दोनों के नाम भले ही मिलते जुलते हों , पर न तो ये एक तरीके के नृत्य हैं और ना ही एक जगह के. जहाँ कत्थक उत्तरी भारत की नृत्य शैली है, वहीं कथकली दक्षिड़ भारत (केरल) की नृत्य कला है. जितना ये नृत्य अपने आप में अलग है उतनी ही अनोखी और जटिल इसकी वेशभूषा और चेहरे का श्रृंगार है. ऐसा माना जाता है की कथकली 1500 साल पुराना नृत्य है , जिसकी शुरुआत आर्यन और द्रविड़ सभ्यता के समय मे हुई थी .