हमारा देश हमेशा से परम्परओं का देश रहा है , जैसे होली पर होलिका दहन की परंपरा दियों से चली आ रही है , दशहरे पर रावण दहन की परंपरा , नवरात्रों में कन्या पूजन की परंपरा तो ईद पर सिवईयें बनाने की परंपरा आदि परम्पराओं को हम निभाते आ रहे हैं . उसी तरह भारत के एक राज्य बंगाल में भी एक बहुत पूरानी परंपरा है , नवरात्रों में दुर्गा पूजा के दौरान महिलाओं और पुरुषों द्वारा किये जाने वाले नाच का नाम है"धुनुची नाच", जिसे दुर्गा अष्टमी के दिन किया जाता है. ये नाच असल में शक्ति नृत्य है. बंगाली परंपरा के अनुसार माँ भवानी की शक्ति और ऊर्जा बढ़ाने के लिए ये नृत्य किया जाता है. पुराणों के अनुसार बलशाली महिषासुर का वध करने जा रहीं माँ भवानी की शक्ति और ऊर्जा को बढ़ाने के लिए भक्त ये नाच करते है इस नृत्य को "धुनुची नाच" इसलिए कहते हैं क्यूंकि इसे धुनाची को हाथों और मुँह से पकड़ के किया जाता है . धुनाची एक मिट्टी का बर्तन होता है जिसमे जलता कोयला , कपूर, नारियल के सूखे रेशे और हवन सामग्री होती है. इस नृत्य को बंगाली धुनों पर स्थानीय ढोल नगाड़ों जिन्हे ढाक कहते हैं, के साथ किया जाता है .