मांडू के राजा ग्यासुद्दीन खिलजी ने अपनी रानियों के लिए एक ऐसा महल बनवाया था, जहाँ एक सीढ़ी चढ़ने पर एक सोने की अशर्फी मिलती थी ग्यासुद्दीन खिलजी की 16000 रानियाँ थीं। खिलजी की कुछ बेगमों का वजन बढ़ने लगा तो उसने उन्हें दुबला करने के लिए एक सीढ़ियोंदार महल बनवाया और इन सीढ़ियों के जरिए उसने रानियों के वजन को कम करने की कोशिश की। इन सीढ़ियों को चढ़ने के लिए खिलजी ने एक अनूठी प्रथा भी शुरू की।
महल की एक सीढ़ी चढ़ने पर रानी को एक अशर्फी दी जाती थी। तब से यह स्मारक अशर्फी महल के नाम से जाना जाने लगा।एक घटना जहांगीर के समय की भी है, जिसमें मांडू में स्थित विजय स्तम्भ जिसकी ऊंचाई अधिक थी। सम्राट जहांगीर ने बेगम नुरजहां से ऊपर चढ़ने को कहा तो उस समय बेगम नूरजहां ने इंकार कर दिया। तब जहांगीर ने उन्हें प्रत्येक सीढ़ी चढ़ने पर एक अशर्फी देने का वचन दिया था
इस विजय स्तम्भ में स्पाइरल स्टेप रही थी, जिसमें 198 सीढ़ियां बताई जाती हैं। बेगम द्वारा अशर्फियों के लालच में ऊपर जाना स्वीकार किया था। जहां से पूरे मांडू का सौंदर्यपान किया जा सकता है।
कहा जाता है की भेंट स्वरूप पाई गई अशर्फी बेगम ने गरीबों को बांटी दी थी। तभी से इस भवन को अशर्फी महल कहा जाने लगा।