बरेली का आंवला ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है . यही पर रामनगर में जैन धर्म के भगवान् पार्श्वनाथ का मंदिर है / जहाँ भगवान् ने तपस्या करके ज्ञान प्राप्त किया और तीर्थंकर बने . पार्श्वनाथ जी का जन्म तीन हजार साल पहले वाराणसी में हुआ था . जैन पुराणों के अनुसार भगवान् पार्श्वनाथ जी को तीर्थंकर बनने के लिए करीब नौ जन्म लेने पड़े थे .
पहले जन्म में वो ब्राह्मण . दूसरे में हाथी. तीसरे में स्वर्ग के देवता . चौथे में राजा , पांचवे में देव . छठे में चक्रवर्ती सम्राट , सातवे में देवता . आठवे में राजा और नौवे में राजा इंद्र बने थे . तब जाकर उन्हें दसवे जन्म में तीर्थंकर बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ .
भगवान् पार्श्वनाथ जी ने यहाँ एक मुनि के रूप में तपस्या करी और ज्ञान प्राप्त किया
पूर्वे जन्मों के पुण्यों के कारण और कठोर तप के कारण ही वे २३ वे तीर्थंकर भगवान् पार्श्वनाथ बने!