ईरान के रेगिस्तान मे ऐसी कई जगह हैं जहाँ ज़मीन के 100 फ़ीट नीचे पानी की नहरे बहतीं हैं , इन्हे स्थानीय स्तर पर कनात कहते हैं . ऊपर से देखने पर ये छोटे गड्ढे जैसे लगते हैं . जो हज़ारो किलोमीटर के दायरे मे दूर तक हज़ारों की तादात में दिखाई देते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार नहरों की कुल लम्बाई उतनी ही है जितनी दुरी धरती से चाँद की हैं. पुरातत्व विभाग की अफसर इन कनाल को देख कर अचंभित हैं , क्योंकि कई वर्षों तक तो इन नहरों के पानी के स्रोत का भी पता नहीं चल पा रहा था लकिन गहन अध्यन के बाद पता चला की दूर पहाड़ों की रिवर वैली से ये नहरे निकलती हैं . आर्किओलॉजिस्ट के अनुसार यह नहरे 3000 साल पुरानी हैं. जलस्रोत से नहरे खोदना और पानी के बहाव को संतुलित करना प्राचीन इंजीनियरिंग का श्रेष्ठ उदहारण और अपने आप मे एक चमत्कार हैं. साल 2016 मे यूनेस्को ने इन कनातों को विश्व धरोहर घोषित किया था . इन कनातों की देखभाल करने वालों को मिराब कहते हैं 102 साल के गुलामरेज़ा नबीपुर कुछ आखरी मीरबों मे हैं और इन्हे ईरान की सरकार ने नेशनल लिविंग ट्रेज़र का दर्जा दिया है.