मध्य प्रदेश में छत्तरपुर जिले के बाजना गाँव के पास एक पहाड़ी के ऊपर गुफा में स्थित है प्राचीन कुण्ड जिस का पानी एकदम साफ़ और गहरे नीले रंग का है, इस वजह से शायद इस कुण्ड का नाम नील कुण्ड है. इस कुण्ड के कई नाम हैं जैसे नील कुण्ड ,भीम कुण्ड,नारद कुण्ड आदि.यहाँ तक की पौराणिक ग्रंथों में भीम कुण्ड का नारद कुण्ड तथा नील कुण्ड के नाम से भी उल्लेख मिलता है. इसी के साथ इन नामों से जुड़ी कई प्रचलित कथाएं भी सामने आती हैं,
जैसे एक कथा के अनुसार पांडवों के अज्ञात वनवास के दौरान चलते चलते जब द्रौपदी को प्यास लगी तो भीम ने अपनी गदा से धरती पर प्रहार कर के एक जल कुंड बनाया था जिस वजह से इस जलाशय का नाम भीम कुंड पड़ गया. दूसरी कथा के अनुसार देवर्षि नारद द्वारा साम गान का गायन और भगवान विष्णु से निवेदन कि वे द्रवीभूत रूप में सदा के लिए उसी स्थान में रुक जाएं जिससे सभी पीडि़तों का उद्धार हो सके, और भगवान विष्णु ने प्रार्थना स्वीकार कर ली और नील-जल के रूप में वहीं एक कुण्ड में ठहर गए. इन सब के अलावा इस कुण्ड की और भी कई आश्चर्यजनक खासियतें हैं,
जैसे की इस की कुल गहराई का पता आज तक कोई भी शोधकर्ता और देश विदेश के वैज्ञानिक नहीं लगा पाए और दूसरी की जब भी कभी एशिया में कोई भी प्राकृतिक आपदा आने वाली होती है तो इस जल कुण्ड का जल स्तर सामान्य से ऊपर हो जाता है और ऐसा क्यों होता है इस बात का किसी वैज्ञानिक के पास कोई जवाब नहीं है . वर्तमान समय में यह धार्मिक-पर्यटन एवं वैज्ञानिक शोध का केन्द्र भी बनता जा रहा है.अनेक शोधकर्ता इस जलकुण्ड में कई बार गोताखोर उतार चुके हैं किन्तु इस जलकुण्ड की थाह आज तक कोई भी नहीं पा सका है।