गर्मियों की छुट्टियों में अगर ठंडक का एहसास लेना चाहते हैं तो हम कहेंगे की इस बार आप कलिंगपोंग घूमने जाएं जिस के बारे में कहा जाता है की 1700 ई तक कलिंगपोंग सिक्किम का एक भाग था और 18वीं शताब्दी के प्रारम्भ में भूटान के राजा ने इस पर कब्जा कर लिया था जिसके बाद आंग्ल-भूटान युद्ध के बाद 1865 ई में इसे दार्जिलिंग में मिला दिया गया। यहाँ के स्थानीय लोग, ज्यादातर नेपाली हैं, जो भारत की आजादी से पहले नौकरी खोजने की तलाश में यहां आकर बस गए थे। कलिंगपोंग स्टेशन समुद्र तल से 4000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
कलिंगपोंग 1950 ई तक ऊन का प्रमुख व्यापार केंद्र था। ये एक बहुत ही व्यस्त शहर है क्योंकि दार्जिलिंग और गंगटोक इसी शहर से होकर जाया जाता है,जो की पूर्वोत्तर हिमालय के पीछे स्थित है। यहां से कंचनजंघा रेंज तथा तिस्ता नदी की घाटी का बहुत सुंदर नजारा दिखता है। कलिंगपोंग में अभी भी बहुत से औपनिवेशिक भवन हैं जिनमें मुख्यत: बंगले तथा पुराने होटल शामिल हैं। ब्रिटिश ऊनी व्यापारियों द्वारा बनाए गए ये भवन मुख्य रूप से रिंगकिंगपोंग तथा हिल टॉप रोड पर स्थित हैं। इन भवनों में मोरगन हाउस, क्राकटी, गलिंका, साइदिंग तथा रिंगकिंग फॉर्म शामिल हैं, जिनमे से मोरगन हाउस तथा साइदिंग को सरकार ने अपने नियंत्रण में लेकर पर्यटक आवास के रूप में तब्दील कर दिया है। इन भवनों के नजदीक ही सेंट टेरेसा चर्च भी है। कलिंगपोंग फूल उत्पादन का प्रमुख केंद्र है।
यहां देश का 80 प्रतिशत ग्लैडुला का उत्पादन होता है। इसके अलावा यह आर्किड, कैकटी, अमारिलिस, एंथूरियम तथा गुलाबों के फूल के लिए प्रसिद्ध है। कलिम्पोंग में पाएं जाने वाले आर्किड सारी दुनिया में निर्यात किए जाते है यहां प्रसिद्ध रेशम उत्पादन अनुसंधान केंद्र भी है। यह केंद्र दार्जिलिंग जाने के रास्ते पर स्थित है।यहाँ एडवेंचर प्रेमियों के लिए करने को बहुत कुछ है, जैसे यहां का प्रसिद्ध आर्मी गोल्फ क्लब , तिस्ता नदी में रोमांचक राफ्टिंग जिसका आनन्द लेने का सबसे अच्छा समय मध्य नंवबर से फरवरी तक है। इसके अलावा हाइकिंग खेल का मजा तिस्ता नदी की घाटी में पूरे साल लिया जा सकता हैं।तिस्ता नदी पर प्रसिद्ध शांको रोपवे भी है जो 120 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, इस रोपवे का निर्माण स्वीडन सरकार की मदद से किया गया था। यह रोपवे तिस्ता और रीली नदी के बीच बना हुआ है। इस रोपवे की कुल लंबाई 1115 किलोमीटर है। यहां 18 होल्स वाला गोल्फ कोर्ट्स भी हैं ।
शॉपिंग के शौक़ीन लोग भूटिया शिल्प, लकड़ी का हस्तशिल्प, बैग, पर्स, आभूषण, थंगा पेंटिग्स तथा चाइनीज लालटेन की खरीदारी कलिंगपोंग से कर सकते हैं । इन वस्तुओं की खरीदारी के लिए कलिंगपोंग आर्ट एंड क्रार्फ्ट कॉओपरेटिव भी जा हैं ,कलिंगपोंग का स्थानीय चीज़ तथा लॉलीपॉप यहां आने वाले पर्यटकों को जरुर खरीदना चाहिए। कलिंगपोंग में आपको हर चौराहे पर फुम्बी,स्टीम मोमोज,नूडल सूप तथा चो आदि खाने को मिल जाएगा। थुकपा यहां की नुडल्स आधारित डिश है जिसे सर्दियों के दौरान बनाया जाता है। चुरपी एक स्थानीय डिश है जिसे याक के दूध से बनाया जाता है ,भोजन के साथ - साथ आप यहां दार्जिलिंग की चाय की चुस्कियां भी ले सकते हैं ।
कलिम्पोंग एक ऐसी जगह पर स्थित है जहां आपको पश्चिम बंगाल और बौद्ध संस्कृति का मिला जुला रूप देखने को मिलता है।प्रकृति प्रेमियों के लिए कलिम्पोंग में बहुत सारी खास चीजें है जैसे - क्लाउडेड लैपर्ड, रेड पांडा, साइबेरियन बीजल, बार्किंग डीयर आदि इस शहर में पक्षियों की भी विस्तृत विविधता देखी जा सकती है। अगर आप प्रृकति के और करीब जाना चाहते है तो शहर में स्थित नेओरा राष्ट्रीय उद्यान या ऋषि बंकिम चंद्र पार्क की सैर भी कर सकते है। यहां की भूमि पर चीड़ के पेड़ सबसे ज्यादा होते है और यह स्थान एक आदर्श पिकनिक स्थल है।
कलिम्पोंग, भारत और नेपाल के बीच का सबसे महत्वपूर्ण व्यापार जंक्शन है और उसी के साथ साथ भारत और चीन के लिए भी व्यापार जंक्शन का काम करता है। कलिम्पोंग में मौसम का बदलाव बेहद खास होता है, यहां गर्मियों में भी ज़्यादा से ज़्यादा 25 डिग्री तापमान रहता है ,जो इस जगह को पर्यटन के लिए अनुकूल बनाता है ।