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मुग़ल इतिहास के बिखरे पन्ने पंजाब के कलानौर में :तख्त-ए -अकबरी (TAKHT -E - अकबरी मुग़ल इतिहास के बिखरे पन्ने पंजाब के कलानौर में :तख्त-ए -अकबरी ,takht-e-akbari punjab,kalanaur
Monday, 24 Jun 2019 08:15 am
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दोस्तों हम बात कर रहे हैं उस समय की जब अकबर 13  साल के थे और उनके पिता हुमायुँ  मुग़ल सल्तनत के बादशाह  थे और बीमार चल रहे थे इसी बीच अलग अलग राज्यों से मुग़ल सल्तनत के खिलाफ बगावत के सुर सुनायी देने  लगे थे ,

जिनको दबाने के लिए 13  साल के अकबर मुगलों  के विश्वसनीय पात्र बैरम खान के साथ दुश्मनों को मुँह तोड़ जवाब देने के लिए अपनी सेना के साथ पंजाब के कलानौर में थे, जब उन्हें पता चला की बादशाह हुमायूँ  की अचानक अपनी लाइब्रेरी की सीढ़ियों से गिर कर मृत्यु हो गयी है और मुग़ल सल्तनत के खिलाफ  बगावत को उठता देख बैरम खान ने ये फैसला लिया की जल्द से जल्द एक नए बादशाह की घोषणा करना ज़रूरी है।

इसलिए उन्होंने 13  वर्षीय अकबर की   ताजपोशी करने का फैसला लिया और इस तरह कलानौर में ही  सन 1556  में अकबर की ताजपोशी की रस्म हुई और उन्हें हिंदुस्तान  का तख़्त-ओ-ताज सौप दिया गया और इस तरह इतिहास के पन्नों में इस जगह का नाम "तख़्त-ए-अकबरी"  दर्ज हो गया ।


ये  पंजाब के गुरदासपुर  ज़िले के कलानौर के बाहरी हिस्से में स्थित है जिसे अब  पुरातत्व विभाग ने अपने संरक्षण में ले लिया है।
इस पोस्ट के द्वारा हम आपका ध्यान मुग़ल काल के उस महत्वपूर्ण स्थान की ओर आकर्षित करना चाहते हैं जिसके बारे में शायद हम में से बहुत काम लोग जानते होंगे और जो समय के साथ कहीं खो गया है।