हेलिपैड के नीचे है हनुमानजी का पंजा : कसौली ( kasauli )
कसौली हिमाचल प्रदेश में छोटा सा हिल स्टेशन है जो की देवदार की घने जंगलों के बीच काफी लम्बे समय से अपनी प्राकृतिक खूबसूरती को आज भी बरकरार रखे हुए है ।इस जगह का नाम कैसे पड़ा इसे लेकर कई कहानियाँ हैं जैसे की पहली है जिसमे
रेवाड़ी के कुछ राजपूत हिमालय की तलहटी के 'कसुल' नामक छोटे से गांव में आ बसे और बाद में यही गांव कसौली के नाम से जाना गया।
दूसरी कहानी ये है की कसौली से नीचे उतरके एक जल धरा बहती है जिस का नाम कौशल्या धारा है इस के आस पास पहले गाँव बसा और धीरे धीरे इस जगह का नाम कसौली पड़ गया इस के बाद जब अँगरेज़ हमारे देश में आये और उन्होंने इस जगह की प्राकर्तिक खूबसूरती और वातावरण को देखा तो उन्होंने सेना के छावनी में बदल दिया धीरे धीरे जब अंग्रेजो को इस जगह की सुंदरता का एहसास हुआ तो उन्होंने इसके चारों ओर हिल स्टेशन बना दिया ।
और तीसरी कहानी के अनुसार इसका मूल नाम 'कुसुमावली' है, जिसका अर्थ है- 'फूलों की कतार'।
कसौली एक बहुत ही सुन्दर और हरी भरी जगह है और अगर आप प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेना चाहते है तो यहाँ घूमने के लिए कई जगहें हैं जहाँ आप मदर नेचर की कुछ छोटी छोटी सुन्दर चीज़ों को बहुत पास से महसूस कर सकते हैं
जैसे "गिल्बर्ट ट्रेल" और "टिम्बर ट्रेल" में चलते वक़्त कबि अचानक से बादल कहीं से उड़ के आप के पास से गुज़र जायेंगे तो कहीं चलते चलते आपको कुछ बड़े ही सुन्दर से जंगली फूल दिख जाएंगे इन्हीं सब के बीच किसी अनजानी सी पहाड़ी पगडण्डी पे चलते चलते घाटी के सुन्दर नज़रों में आपका मन एक अनजाने से रोमांच से भर उठेगा।कसौली के घने जंगलों में कई तरह की लुप्तप्राय प्रजातियाँ भी पाई जाती है। तो कसौली की "लवर्स लेन" की सूनसान सड़क पर अपने प्रियेजनों के साथ या कभी यूँ ही अकेले एक लम्बी वाक ले सकते हैं इस के आलावा यहाँ एक "मंकी प्वाइंट" नाम की जगह है जो कसौली का सबसे ऊँचा स्थान है। यह अब भारतीय सेना के अधिकार क्षेत्र में है, यहाँ श्रीराम के भक्त हनुमानजी का मंदिर भी है जिसके बारे में कहते हैं कि भगवान हनुमान ने लक्ष्मण जी की जान बचाने के लिए संजीवनी बूटी लेने जाते समय अपना एक कदम इस पहाड़ी पर रखा था जिस वजह से उनका पंजा यहाँ छप गया और अब यहाँ उनकी पैरों की उँगलियों पर मंदिर बना दिया गया है और एड़ी वाले हिस्से पर एक हेलिपैड बना है । देवदार के जंगलों के बीच बसे कसौली में अंग्रेज़ों द्वारा निर्मित कई भव्य विक्टोरियन इमारतें भी मौजूद हैं जो इस हिल स्टेशन के गौरवशाली अतीत के बारे में बताती हैं।
यहाँ की मॉल रोड के पास एक "क्राइस्ट चर्च" है जिसका निर्माण 1853 में अंग्रेजों द्वारा करवाया गया था गया था। अपनी ग्लास से बनी खिड़कियों की वजह से यह चर्च कसौली में सबसे अधिक देखी जाने वाली जगहों में से एक है। अमुमन हर हिल स्टेशन की तरह यहाँ भी एक "मॉल रोड" है जो कसौली की खास जगहों में से एक है। यहाँ शहर का मुख्य शॉपिंग बाजार है। इस क्षेत्र में बहुत सारी दुकानें, रेस्तरां और प्रसिद्ध कसौली क्लब्ज़ हैं , जो इसे घूमने और खाने पीने के लिए एकदम सटीक जगह बनाते हैं। कसौली में जैसे जैसे शाम ढलती है यहाँ के बाज़ारों की रौनक अपने चरम पर होती है ।
इन सब के आलावा यहाँ के प्रमुख मंदिरों में से एक है "बाबा बालक नाथ मंदिर" है जो भगवान शिव के प्रबल अनुयायी बाबा बालक नाथ को समर्पित है। यह मंदिर कसौली से 3 किमी दूर स्थित है जहाँ आप बस या टैक्सी की मदद से आसानी से पहुंच सकते हैं। और एक गुरुद्वारा भी है "गुरुद्वारा श्री गुरु नानकजी" जो कसौली का के महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र होने के साथ-साथ पसंदीदा पर्यटन स्थल भी है। इस जगह पर रोज भारी संख्या में लोग आते है इसके साथ रविवार को यहाँ एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।
और यदि आप हिस्टोरिकल मोनुमेंट्स देखने में इंटरेस्टेड हो तो गोरखा सेना के प्रमुख अमर सिंह थापा द्वारा निर्मित (1900 ईस्वी) का बना "गोरखा क़िला" देखने भी जा सकते हैं यहाँ १८० साल पुरानी तोपें आज भी मौजूद हैं