पानी के बीच जज़ीरा जिस पर बन गया क़िला जंजीरा : महाराष्ट्र
आइये चलते हैं महाराष्ट्र में मुरुड के छोटे से गाँव राजपुरी में जहाँ ज्यादातर घर उन लोगों के हैं जो कभी निज़ामों और नवाबों के समय में वहां से डेढ़ किलो मीटर की दुरी पर पानी के बीच जज़ीरे पे बने "क़िला जंजीरा" में रहा करते थे और जब नवाबों का राजपाट खत्म हो गया और वो क़िले से पलायन कर गए तो आम लोगों के पास व्यवसाय के साधन खत्म होने लगे और वो भी तटीय इलाकों की तरफ धीरे धीरे पलायन करने लगे और साथ ले आए क़िले से जरूरी चीज़ें जो आज भी इस गाँव के घरों में दिखाई देती हैं ।
यहाँ के लोगों से क़िले के बारे मे बात करने से पता चलता है की 16 शताब्दी का बना जंजीरा क़िला एक ऐसा क़िला है जो अपने साथ बड़ी ही अनोखी कहानी लिए पानी के बीच एकांत मे खड़ा है।इस क़िले के बारे मे कहा जाता है की इस पर अधिकार करने के लिए कई आक्रमण हुए लेकिन ये एक इकलौता ऐसा क़िला है जिसे 400 सालो तक कोई भी जीत नहीं सका इसके पीछे कई वजह हो सकती हैं जैसे क़िले की मजबूती और ख़ूबसूरती या क़िले की सटीक लोकेशन क्योंकि कहा जाता है की इस क़िले का निर्माण ही आक्रमणकारियों से बचने और अपने कीमती सामान को सुरक्षित जगह पर रखने के लिए किया गया था ।
इतिहासकार बताते हैं की इस क़िले का इतिहास 1490 से शुरू होता है जब मुरुड गाँव एक तटीय इलाका हुआ करता था और समुद्री लुटेरों के आतंक से अपने गाँव को बचाने के लिए कोलियों के सरदार ने इस क़िले का निर्माण किया जिसे पहले लकड़ी से बनाया गया और नाम दिया मेड़ें कोढ़ । क्योंकि ये क़िला रणनीति के हिसाब से बहुत ही सटीक जगह पर था इसलिए उस समय का हर शासक उस पर अपना कब्ज़ा करना चाहता था इसी वजह से सिद्दीक़ी समुदाय के शासक (अहमद नगर के निज़ाम शाह ) ने अपने सूबेदार पीर शाह को इस क़िले पर आक्रमण करने के लिए भेजा और उन्होंने धोखे से ही रामा कोहली के सैनिकों पर वार करके उस क़िले पर अपना कब्ज़ा जमा लिया, इसी के साथ इस जगह का नाम मेड़ें कोढ़ से बदल के जज़ीरा कर दिया गया और फिर बोलचाल की भाषा मे बदलते बदलते क़िला जज़ीरा से बन गया क़िला जंजीरा । और आज जब हम इस क़िले मे जाते हैं तो वहां मौजूद है क़िले के गौरवशाली इतिहास को बयान करती आज भी बची हुई कुछ मजबूत और ताकतवर तोपें जिनमे से कुछ उत्कृष्ट तोपों के नाम हैं कलालबांगड़ी,गौमुख और चालाक लोमड़ी । ज़्यादातर क़िलों में देखा गया है की कोई न कोई छुपी हुए सुरंग क़िले से बहार जाने के लिए बनायीं जाती थीं जो ज़्यादातर ज़मीन के नीचे से हो कर कहीं दूर निकलती थीं ऐसी हे एक अंडर वाटर हिडन टनल इस क़िले में भी मौजूद है लकिन दिलचसप बात ये है की वो पानी के नीचे से होती हुई दूर सामने के गांव में खुलती है। सोचिये ज़रा आज के दौर में अंडरवाटर टनल बनाना कोइ बड़ी बात नहीं है पर आज से 500 साल पहले जब इतनी एडवांस टेक्नोलॉजी नहीं थी तब कैसे बनाई होगी इतनी लम्बी सुरंग............
इस क़िले के अजेय रहने का एक कारण इस क़िले की बनावट भी मानी जाती है, कहा जाता है की क़िले मे तीन दरवाजे हैं इन दरवाजों की खासियत यह है की इन्हें इस तरह बनाया गया है कि जब तक कोई इस क़िले के बिलकुल नजदीक ना पंहुच जाये तब तक ये दरवाजे दिखायी नहीं देते हैं इसलिए जब दुश्मन क़िले से थोड़ा ही दूर होता होगा तब सैनिक दुश्मन को देखते ही आक्रमण कर देते होंगे और यही कारण था की 400 सालों तक इस क़िले को कोई भी जीत नहीं सका ।