किला जो है मजबूती की निशानी.....
किला जो है अपनो की रक्षा का प्रतीक..........
जी हाँ दोस्तो हम बात कर रहे हैं पंजाब के अमृतसर मे बने "गोबिंदगढ़ किले" की........
कहा जाता है की मूलतः इस किले का निर्माण 17 वि शताब्दी या उससे पूर्व "महाराजा गुज्जर सिंह भंगी" ने करवाया था।
इसकी निर्माणशैली की खासियत थी इस किले के मुख्य द्वार से प्रवेश करने पर नीचे मिलने वाली विशाल और गहरी पानी से भरी खाई और ऊपर तोपों के साथ तैनात विशाल सेना जिसमे करीब 25 तोपें शामिल थीं।
भंगी मिस्ल की शासक "माई सुखन" से एक ताकतवर "जमजमा" नामक तोप को लेकर तथा पांच और तोपों की मदद से सन 1805 मे महाराजा रंजीत सिंह ने इस किले को अपने अधिकृत कर लिया । जिसके बाद उनहोंने इस का नाम बदल कर सिक्खों के दसवे गुरु "गुरु गोविन्द सिंह जी" के नाम पर "गोबिंदगढ़ किला" रख दिया ।इस किले का मुख्य उद्देश्य "हरमिंदर साहिब गुरुद्वारा" यानी "गोल्डन टेम्पल" और अपने शहर की आक्रमणकारियों से सुरक्षा करना था। जिस वजह से उन्होंने इस किले को और मजबूत बनवाया, जिसमे शामिल हाँ 3 प्रवेश द्वार । पहला मुख्य द्वार दुसरा "नालवा गेट" और इससे प्रवेश करने पर आता है तीसरा और अंतिम द्वार और दो सुरक्षा दीवारें। नालवा गेट के प्रवेश पर आपको एक गहरी खाई दिखाई देगी जो बाहरी सैनिकों को किले तक पहुंचने से रोकने के लिए बनायी गयी थी ।नालवा गेट में प्रवेश करते ही दोनों तरफ किले के सैनिकों के छुपकर खड़े होने के लिए सुरंगनुमा कमरे बनाये गए थे
कहा जाता है की किले में सिक्के और सैन्य शस्त्र बनाने की जगह भी थी।
जिस जगह महाराजा रंजीत सिंह का खजाना रखा जाता था उसे "तोशखाना" कहा जाता था, जिसके बारे में यह भी कहा जाता है की यहाँ कभी "कोहिनूर हीरा" भी रखा जाता था।
इस सब के बाद अंग्रेजी हुकूमत के दौरान 1849 मे अंग्रेज़ों ने किले पर कब्ज़ा कर उसमे कई बदलाव करे और वहां कैदियों को रखने के लिए कारावास बनवा दिए।
भारत की आज़ादी के बाद इस पर भारतीय आर्मी का नियंत्रण हो गया , लेकिन अब इस किले को एक सुन्दर म्युज़ियम में बदल कर आम जनता के लिए खोल दिया गया है, जहाँ तोशखाना को "कॉइन म्युज़ियम" बना दिया गया है और मशहूर तोप "ज़मज़मा" की हूबहू कॉपी को लोगों के देखने के लिए प्रदर्शित किया गया है।
किले के अंदर पर्यटकों के लिए ऐतिहासिक लाइव स्टेज शोज़ का आयोजन भी किया जाता है। इसके अलावा यहाँ पारम्परिक वस्तुओं की हॉट भी लगती है।
और किले की मीनारों पर सुसज्जित ये भारी भरकम तोपें हमे इस बात का एहसास कराती है की किसी समय मे ये किला कितना सुरक्षित और
निडर रहा होगा..