अगर हम आपसे पूछें की हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा मंदिर कौन सा और कहाँ है तो आप का जवाब क्या होगा ।
तो इस सवाल का जवाब है " अंगकोरवाट टेम्पल काम्प्लेक्स " ।
अंगकोरवाट कहाँ स्थित है ये जान कर आपको बेहद आश्चर्य होगा । क्योंकी दुनिया में हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा देश भारत माना जाता है लेकिन इस धर्म का सबसे बड़ा मंदिर भारत मे नहीं बल्कि दुनिया के दूसरे देश कम्बोडिया मे है ।162 .6 हेक्टेयर मे फैले इस टेम्पल काम्प्लेक्स का निर्माण 12 वी शताब्दी मे उस समय के खमेर साम्राज्य के सम्राट "सूर्यवर्मन द्वितीय" ने अपने राज काल के दौरान भगवान् विष्णु की उपासना के लिए करवाया था, जो कि बाद मे बौद्ध मंदिर मे परिवर्तित हो गया ।
अंगकोरवाट दो शब्दों से बनता है, जहाँ अंगकोर का मतलब "शहर" और वॉट मतलब "मंदिरों की जगह" जिससे बन गया मंदिरों का शहर और क्यों की आज का अंगकोरवाट उस समय के खमेर के राजा की राजधानी थी तो इसलिए ये बन गया "कैपिटल सिटी ऑफ़ टेम्पल" जो की आज के मॉडर्न समय के "सीम रीप" नाम के शहर के पास स्थित है । अंगकोरवाट इस मंदिर का मूल नाम नहीं है । इसके मूल नाम से जुड़ी कोई शिला या जानकारी तो नहीं है लेकिन खमेर भाषा जो कि संस्कृत भाषा से ही जन्मी है मे इस मंदिर का नाम "वराह विष्णु लोक" संस्कृत में , और खमेर में "बरोम विष्णु लोक" है । जसका मतलब होता है विष्णु का निवास स्थान ।
अंगकोरवाट एक हिन्दू मंदिर है इस बात का पता वहां की दीवारों, छतों और खम्बों पर बनी और तराशी हुई अनगिनत मूर्तियों और आकृतियों से चलता है । जो की हिन्दू धार्मिक पौराणिक कथाओं पर आधारित हैं । जिनमे जगह जगह हिन्दू देवी देवता, दानव , स्वर्ग की नृत्य करती अप्सराएँ , रामायण के दृश्य , कुरुक्षेत्र में हुआ महाभारत के युद्ध का दृश्य जिसमे भीष्म पितामह: बाणों की मृत्यु शया पर अपनों के बीच लेटे हुए बने हैं और बहुचर्चित पौराणीक कथा समुद्र मंथन के दृश्य को बड़ी बारीकी से दर्शाया गया है, जो की दुनिया की सबसे लम्बी पत्थर पर तराशी हुई आकृतियों मे से एक है ।
अंगकोरवाट खमेर मंदिर निर्माणशैली के दो मुख्या पहलुओं पर आधारित है जिसमे एक है पर्वत मंदिर और दूसरी है गलियारेनुमा मंदिर। इस मंदिर का निर्माण हिन्दू पौराणिक कथाओं में वर्णित मेरु पर्वत के प्रतीक के रूप मे किया गया है, जहाँ इसकी पांच इमारतें मेरु पर्वत की पांच चोटियाँ हैं और नीचे दीवारें और पानी की खाई, आसपास की पर्वत श्रंखलाएं और सागर हैं ।
अंगकोरवाट के दिलचस्प तथ्य यहीं ख़त्म नहीं होते क्योंकी कुछ साल पहले शोधकर्ताओं ने मंदिर के मध्य भाग के एक कमरे में कुछ बेहद ही बारीकी से बनायीं हुई करीब 200 से जायदा छुपी हुई तस्वीरों को आधुनिक तकनीक की मदद से ढूंढ निकला जो की दीवारों पर बनी हुई हैं और समय के साथ करीब करीब बोझल हो चुकी हैं । इनमे से कुछ तस्वीरें हम आपको दिखा रहे हैं जिनमे आप नाव, ऊँचे से मंदिर जैसी कोई चीज,किसी तरह के वादन यन्त्र , हाथी घोड़े आदि देख सकते हैं।
इन सब के अलावा खोजकर्ताओं को मंदिर के मध्य भाग से एक प्राचीन लिफ्ट मिली जो एक गुप्त कमरे तक जाती थी, जहाँ 1934 में शोधकर्ताओं को दो टुकड़े क्रिस्टल और दो सोने की पत्तरें भी मिली , जिसके बारे में ये अनुमान लगाया जा रहा है की ये वो जगह होगी जहाँ कभी शायद भगवान विष्णु की स्थापित थी । मंदिर के ढांचे की बात करें तो शोधकर्ताओं का मानना हैं की इसका निर्माण करीब पांच मिलियन से दस मिलियन रेत के बने विशाल पत्रों से किया गया है जिसमे एक पत्थर का वजन तकरीबन डेढ़ सौ किलो हैं । पुरे अंगकोरवाट में इस्तमाल पत्थरों की गिनती एजीप्ट के पिरामिड्स में इस्तमाल हुए पत्थरों से कहीं जायदा है। ये बात इतने अचम्भे वाली इसलिए है क्योंकी ये पत्थर इस जगह से करीब चालीस किलोमीटर की दुरी पर स्थित पहाड़ी " माउंट कुलेन " से खोद कर लाये गए थे , जहाँ पहुंचने का बड़ा मुश्किल और लम्बा रास्ता हैं लेकिन 2011 में शोधकर्ताओं को एक छोटा रास्ता नहर के रूप में माउंट कुलेन और अंगकोरवाट को जोड़ता मिला जिसके बारे में उनका मानना है की खमेर राज्य के लोगों ने इसी रास्ते का इस्तेमाल किया होगा ।
अंगकोरवाट के इन्ही सब निराले तथ्यों के कारण 1992 में unesco द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया गया । यहाँ तक की कम्बोडिया के राष्ट्रीय ध्वज में भी इसे अंकित किया गया हैं ।और Guinness book of world record द्वारा इसे विश्व का सबसे बड़े धार्मिक स्थल का दर्जा दिया गया है।