माँ गंगा, जिनके चरणों में जाकर हर प्राणी पुण्य , पवित्र हो जाता है । धरती पर गंगा ही यह माध्यम है जिससे हर प्राणी मोक्ष प्राप्त करता है । माँ गंगा भारत की जीवन रेखा है । जब तक गंगा है तब तक यह भारत है । गंगा के तट पर न जाने कितने ही देवी देवताओं ने सिद्धियां प्राप्त की हैं । गंगा धरती, आकाश और पाताल तीनो लोको में विराजमान है ।
गंगा की उत्पत्ति :
उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्तिथ है गंगोत्री नामक स्थान , जहाँ एक पवित्र जगह गौमुख है ।यहि वह स्थान है जहाँ भगवान शिव ने जब अपनी जटाओं को झाड़ा तो जल की कुछ बूंदें इन चट्टानों पर गिरी और माँ गंगा के रूप में बहने लगी । वैज्ञानीक आधार पर गंगोत्री नामक ग्लेशियर से गंगा की उत्पत्ति होती है । पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा भगीरथ जी के पूर्वजों में राजा सगर नामक एक राजा हुआ करते थे जिनके साठ हज़ार पुत्र थे।राजा सगर के पुत्रों को एक ऋषि ने श्राप देकर भस्म कर दिया था और कहा की इनकी आत्मा को तब तक शांति नहीं मिलेगी जबतक माँ गंगा स्वर्ग लोक से धरती पर नहीं आती , माँ गंगा के जल से ही इनकी भटकती आत्माओं को शांति मिलेगी ।
तब राजा भगीरथ जी ने अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए ब्रह्मा जी का कठोर तप किया , ब्रह्मा जी भगीरथ की तपस्या से अत्यंत प्रसन्न हुए और गंगा जी को आग्रह किया की वे धरती पर अवतरित हों और जन मानस का उधार करें । माँ गंगा का वेग बहुत तेज था जिसे धरती पर संभालना मुश्किल था , तब भगवान शिव जी ने गंगा को अपनी जटाओं में बांध लिया और उनकी एक जटा से जल की कुछ बूंदें धरती पर एक चट्टान के ऊपर गिरी और वहां से फिर तेज बहाव से जल की धरा प्रकट हुयी माँ गंगा के रूप में ।
गौमुख की आकृति गाय के मुख के सामान है । इसी गौमुख से एक जलधारा प्रकट होती है , जो माँ गंगा कहलाती है । माँ गंगा इसी गौमुख की चट्टानों के भीतर से निकलती है। इस जगह को देखकर आजतक कोई नहीं बता पाया की यहाँ से जल कैसे और कहाँ से निकलता रहता है । इन्ही चट्टानों से निकलकर माँ गंगा धीरे धीरे बहते हुए पहाड़ों से निचे उतरती है और माँ गंगा का वेग और तीब्र हो जाता है और फिर वो मैदानी इलाकों में प्रवेश करती हुयी पुरे भारत को धन्य करती हैं । पहाड़ों से उतरकर माँ गंगा का पहला पड़ाव हरिद्वार है जहाँ से होती हुयी माँ गंगा पुरे भारत का कल्याण करती है । कहा जाता है की जिस दिन गंगा सुख गयी उस दिन कलयुग का आखरी दिन होगा।