चित्रगुप्त मंदिर खजुराहो के प्रसिद्ध मंदिर समूह में से एक 10 वि शताब्दी का बेहद प्राचीन मंदिर है जिसे भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा monument of national importance की श्रेणी मे रखा गया है। यह सूर्य देव का मंदिर है जो चार भागों मे विभाजित है,जिसमे एक गर्भगृह, एक बड़ा हॉलनुमा कमरा, एक हिस्सा जो गर्भगृह और मंडप को जोड़ता है और एक प्रवेश स्थान का द्वारमण्डप हैं।
मंदिर कि शिल्पकारी बेहद ही बारीक और खूबसूरती से की गयी है। जहाँ इस मंदिर का ढांचा पास के जगदम्बी मंदिर से मेल खता है वहीं इस पर शिल्पकारी के कुछ अंश ऐसे भी हैं जो बिलकुल अनूठे और मंत्रमुग्ध कर देने वाले हैं जो आपको और किसी मंदिर पर देखने को नहीं मिलेंगे जैसे 11 शीर्ष वाले भगवान् विष्णु जिसमे उन्हें उनके सबसे भव्य रूप में दिखाया गया है जो उनके विभिन्न अवतारों को दर्शाता है इसके अलावा और भी कई मोहित करने वाली शिल्पकारी इस मंदिर की शोभा बड़ाती है।
यह एक सूरदेव मंदिर है जहाँ वे अपने सात घोड़ों वाले रथ पर विराजमान हैं। कहा जाता है की इस मंदिर का निर्माण चंदेल वंश के राजा गंडदेव ने करवाया था जो की भगवान् चित्रगुप्त के उपासक थे जिस वजह से इस मंदिर का नाम चित्रगुप्त मंदिर रखा गया। बताया जाता है की खजुराहो में सिर्फ एक ही सूर्यदेव का मंदिर है।
यहाँ आपको हर जगह बारीक शिल्पकारी करि हुई मिलेगी यहाँ तक की मंदिर के अंदर गलियारे से होते हुए गर्भगृह के बीच के स्तंम्भ और पहड़ियों पर भी,जो इस मंदिर के आकर्षण को और बढ़ाते हैं।
सन्दर्भ:wikipedia.org
punjabkesari.in