भारत के अन्य शहरों की तरह उत्तर प्रदेश के बरेली मे भी ब्रिटिश शासन काल मे कई ब्रिटिश इमारतें बनीं जैसे मिशनरी स्कूल्ज,बाजार और चर्चिस। ऐसे ही कुछ ब्रिटिश काल के चर्च बरेली के कैंन्ट एरिया में आपको देखने को मिल जाएंगे जिनकी खूबसूरती देखते बनती है। इनमे से एक कैंट के एक काफी बड़े एरिया में लाल ईंटों से ब्रिटिश काल मे करीब 1860 मे बनवाया गया था। कहा जाता है की इस चर्च मे सबसे पहला कार्यक्रम एक शादी का हुआ था जो 25 दिसंबर की तारीक थी।
इसकी बनावट के बारे मे कहा जाता है की इसे बनाने के लिए भारतीय कारीगर नहीं बल्कि इंग्लैंड के मिस्त्री,बढ़ई और अन्य कारीगर बुलवाए गए थे। चर्च के खिड़की और दरवाज़ों को कीमती आबनूस लकड़ी (एबोनीवुड) से नक्काशीदार बनवाया गया था। यहाँ खिड़कियों के कांच सादे न होकर रंगीन लगाए गए जो इसकी खूबसूरती को और बढ़ाते हैं। यहाँ एक 20 फुट ऊँचा पाइप ऑर्गन(वादन यंत्र)भी रखा है जिसकी बजाने वाली कीज़ हाथी दन्त की बनी हैं, इस वादन यंत्र को ख़ास इंग्लैंड से मंगवाया गया था, जो कि यहाँ का मुख्य आकर्षण का केंद्र है। चर्च का मेंन हॉल अंदर से बेहद खूबसूरत है। बरेली का सेंट स्टीफेंस चर्च पूरे उत्तर भारत के सबसे पुराने चर्चेस मे से एक है। यहाँ आज भी क्रिसमस के आसपास चर्च की सजावट और झांकी देखने लोगों की भीड़ लगती है।
आज की तारीख मे इस चर्च का रखरखाव आर्थिक कमी के कारण बहुत अच्छी तरीके से नहीं हो पा रहा जिस वजह से यह सूनसान वीराना सा ऊंची ऊंची झाड़ियों मे घिरा चर्च प्रतीत होता है। सोचिये ज़रा यदि इस जगह को पूर्ण देखभाल मिले तो यह कितना सुन्दर गिरजा घर लगे।
इसमे कोई दो राह नहीं है की अंग्रेज़ों ने भारत को बहुत क्षति पहुंचाई है लेकिन यह भी सच है की वह अपने पीछे कुछ बेहद खूबसूरत इमारतें धरोहर के रूप मे छोड़ गए।
सन्दर्भ :m.timesofindia.com
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