चन्दौसी के एस एम कॉलेज (S.M. College) का अपना ही एक गौरवशाली इतिहास है। एस एम कॉलेज चन्दौसी और आसपास के क्षेत्र के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण शिक्षा का केंद्र है। एस एम कॉलेज चन्दौसी और आसपास के क्षेत्र का सबसे पहला डिग्री कॉलेज है जिसकी स्थापना रोहिलखण्ड क्षेत्र के एक बड़े साहूकार श्री साहू शाम सुन्दर जी की मृत्यु के उपरान्त उनकी स्मृति में 1908 में उनकी पत्नी श्रीमती रामकली द्वारा की गयी थी।
कहा जाता है की उनके यहाँ कई हाथी पलते थे। जहाँ हाथी पलते थे उस जगह का नाम आज भी मोहल्ला हाथी खाना कहलाता है। कहा जाता है की उनमे से जो सबसे ऊंचा हाथी था उसको एक अंग्रेज़ प्रशासक ने उनसे खरीदने का प्रस्ताव भी रखा था तो उन्होंने कहा की "हम बेचेंगे तो नहीं आपको दान में दे सकते हैं"। उस अंग्रेज़ ने हाथी न तो खरीदा न ही दान में लिया बल्कि उनकी उदारता से प्रभावित होकर उनको शासन से रानी के नाम से सुशोभित करवाया तभी से वे रानी रामकली के नाम से मशहूर हुईं। इस उदारमना विदुषी नारी ने कॉलेज बनवाने में पानी की तरह पैसा बहाया और कुछ ही समय में यह कालेज रोहिलखण्ड क्षेत्र की शिक्षा का शीर्ष केंद्र बन गया था जहाँ आसपास के शहरों के छात्र पढ़ने आते थे। इस कॉलेज के पहले प्रधानाचार्य श्री जे एन मुखर्जी थे तथा प्रबंधक श्री राम साहब भगवान् दास जी थे। सन 1923 में इसको इंटर की मान्यता प्राप्त हुई और 1947 में आजादी की ख़ुशी में कक्षा 4 के छात्रों को छटवीं कक्षा में पदोन्नत किया गया था। सन 1946 में एस एम हायर सेकेंडरी स्कूल को चन्दौसी और आसपास के क्षेत्र का पहला और एक मात्र डिग्री कॉलेज का दर्जा प्राप्त हुआ जिसमे सबसे पहले कॉमर्स(commerce) की पढ़ाई शुरू हुई जिस कारण दूर के छात्र यहाँ ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने आते थे। यही नहीं सन 1952 में एस एम कॉलेज पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज(post graduate college) बन गया जिसमे चार विषयों में शिक्षा दी जाती थी-पोलिटिकल साइंस(political science), इकोनॉमिक्स (economics ), हिंदी(hindi) और कॉमर्स(commerce) और बाद में धीरे धीरे अन्य विषयों की मान्यता मिलती गयी।
इस कॉलेज की 120 बीघा ज़मीन रीठ गाँव में है जिसकी आय से गरीब छात्रों को स्कॉलरशिप(scolarship) दी जाती है। इसके अलावा बाहर से आने वाले छात्रों की सुविधा हेतु यहाँ दो बड़े हॉस्टल भी बनवाये गए थे (हैली हॉस्टल और T.R.K Hostel) जिनमे अलग अलग विंग के लिए भोजनालय की व्यवस्था भी थी और आसपास के क्षेत्र के छात्र जैसे रामपुर, पीलीभीत, बदायुं, बिजनौर, नजीबाबाद, धामपुर, बुलंदशहर आदि से आकर रहा करते थे। टी आर के हॉस्टल(T.R.K Hostel) श्री साहू श्याम सुन्दर जी की माता जी श्रीमति तुलसा रानी के नाम पर बना था। वर्तमान में यहाँ फ़िज़िक्स(phy), केमिस्ट्री(chem), मैथ्स(maths) ,बॉटनी(botnay),जूलॉजी(zoology) ,जेओग्रफी(geography), इंग्लिश(english), हिंदी(hindi), इकोनॉमिक्स (economics) law, बीएड(B.ed) आदि विषय पढ़ाये जाते हैं।
अपने कॉलेज के दिनों को याद करते हुए 80 वर्षीय कुसुम अग्रवाल एवं 78 वर्षीय गिरिजा अग्रवाल (पूर्व छात्राएं ) बताती हैं की वे अपनी कम्युनिटी से सह शिक्षा पद्धति में पढ़ने जाने वाली पहली छात्राएं थीं। सह शिक्षा होने के कारण छात्राओं की सुरक्षा /सुविधा के लिए खाली पीरियड्स में बैठने के लिए प्रिंसिपल कार्यालय के बगल में एक गर्ल्स कॉमन रूम की व्यवस्था थी। जिसके बाहर एक चौकीदार भी बैठा रहता था। इसके अलावा कॉलेज में एक विशाल लाइब्रेरी थी जिसमे स्नातक एवं स्नातकोत्तर कोर्सेज की सभी विषयों की पुस्तकें उपलब्ध थीं। कॉलेज में एक विशाल खेल का मैदान भी था जिसमे अक्सर प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताएं आयोजित होती रहती थीं। सन 1959 में कॉलेज के 50 वर्ष पूरे होने पर उसकी गोल्डन जुबली मनाई गयी थी जिसमे डॉक्टर सर्वपल्ली राधा कृष्णन (उस समय के उपराष्ट्रपति) ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया था। प्रदेश के मुख्य मंत्री (श्री कमला पति त्रिपाठी) भी उसी दिन आयोजित दीक्षांत समारोह में मौजूद रहे और उन्होंने अपने हाथों से स्नातकों को डिग्रियां प्रदान की। वह कार्यक्रम इतना भव्य था की वहाँ आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में पूरे देश से आये हुए कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोह लिया था। ज्ञातव्य है की इस कॉलेज के अनेकों छात्र छात्रों ने राष्ट्रिय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे आईएएस(I.A.S),पी सी ऐस(P.C.S) एवं आईपीएस(I.P.S) में चयनित होकर कॉलिज को गौरवान्वित किया है और आगे भी करता रहेगा।
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श्रीमती कुसुम अग्रवाल ( ग्रहणी )
श्रीमती गिरिजा अग्रवाल ( ग्रहणी )
श्री सुरेंद्र कुमार ( सेवा निवृत शिक्षक एवं समाज सेवी )