तमिलनाडु के एक छोटे से गॉव थिरुक्कुरुंगुडी में प्राचीनकाल से स्थापित है श्री निंद्रा नम्बि पेरुमल मंदिर जो की विष्णु भगवान को समर्पित है। यह मदिर 108 दिव्य देशम में से एक है। इस मंदिर की निर्माण शीली द्रविण निर्माण शैली पर आधारित है। इस मंदिर में जगह जगह प्राचीन भाषा में लेख दीवारों और खम्बों पर गुदे हुए हैं जिनमे 10 वीं शताब्दी और अन्य कई शताब्दियों में अलग अलग राजवंश के राजाओं द्वारा दिए गए और किये गए दान और निर्माण के बारे में लिखा है जिस से पता चलता है की यह मंदिर 10 वीं शताब्दी में था और इस से पूर्व ही बना होगा। इस के अलावा यहाँ दो प्राचीन भाषा वाले ऐसे लेख भी मिले हैं जिन्हे अभी तक पढ़ा, समझा नहीं जा सका है।
मंदिर की दीवारों पर कृष्ण लीला के दृश्य जैसे गोपियों के वस्त्र हरण, रामायण के दृश्य और महाभारत के दृश्य जैसे भीम भगवान श्री हनुमान की पूछ उठाते हुए और अन्य कई पुराणों के दृश्यों को दर्शाया है .
इस मंदिर की दीवारों और खम्बों पर बहुत घनी और जटिल शिल्पकारी देखने को मिलती है जिसमे से के तो अद्भुत है जिसमे
एक ही मूर्ती में दो अलग तरह के दृश्य बनाये गए हैं लेकिन दोनों एक दुसरे के हिस्से हैं यह मंदिर की एक दिवार पर औरतों से बनी हाथी की आकृति की सुन्दर शिल्पकारी है जिसे दूर से देखने पर हाथी प्रतीत होता है पर ध्यान से देखे तो हाथी का हर अंग शिल्पकार ने औरत कीआकृति से बनाया है हाथी के एक एक पैर दो पैरों को मिला कर बनाए हैं पूँछ एक पैर से सूंढ़ भी दो पैरों को मिला कर बनाई है यहाँ तक की दांत भी एक बैठी मुद्रा में औरत के पैरों से ही बनाए गए हैं।ये सब बारीकियां शिल्पकारी ने सिर्फ एक फुट की छोटी सी मूर्ती में की है।
इतनी बारीक और नज़ाकत से की गयी शिल्पकारी उस समय की शिल्पकला और शिल्पकारी की कल्पना और रचनात्मकता के स्तर का एक उत्कृष्ट नमूना है।
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