इतिहास इस बात का गवाह है की किसी भी राजा की जीत निश्चित होती है अगर उसकी सेना के साथ उसकी प्रजा भी उसका साथ दे तो
चूरू का किला
16 वी शताब्दी का निर्मित ठाकुर कुशल सिंह का चूरू का किला इतिहास में अपनी एक अलग ही पहचान रखता है। वैसे तो राजस्थान में कई मशहूर किले हैं जैसे रणथम्भोर किला, कुम्भलगढ़ किला और भी कई ऐसे किले हैं जिन्होंने कई लड़ाइयाँ देखीं और कई आक्रमण भी झेले लेकिन राजस्थान के चूरू जिले में स्तिथ चूरू के किले की बात कुछ अलग है क्योंकी ये दुनिया का एक मात्र ऐसा किला है जिसने आक्रमणकारियों से युद्ध के दौरान गोला बारूद ख़त्म होजाने पर हार नहीं मानी बल्कि दुश्मन का डट कर सामना भी किया और मुँह तोड़ जवाब भी दिया। सन 1814 में जब राजा सूरत सिंह ने चूरू के किले पर आक्रमण कर दिया तब भीषण युद्ध के दौरान चूरू का गोला बारूद खत्म होने लगा। यह वो समय था जब सेना का मनोबल टूट रहा था और राजा को अपनी प्रजा की ज़रुरत थी उस समय चूरू के लोगों ने अपने राजा शिवाजी सिंह को अनोखा दान दिया और इतिहास में उस लड़ाई को यादगार बना दिया जब चूरू की प्रजा ने अपना सारा सोना चाँदी ज़ेवर राजा के चरणों में रख दिए और ठाकुर शिवाजी सिंह ने अपने लोगों को आक्रमणकारियों से बचाने के लिए तुरंत सारे सोने चाँदी को गलवा के तोप के गोलों में परिवर्तित करवा के बारूद की जगह सोने चाँदी के गोले दगवाए और आक्रमणकारी को घुटने टेकने पड़े। और अपनी सेना को वापिस लौटाना पड़ा।
pic credit:quora.com
:amarujala.com