प्राचीन काल में अहिछ्त्र उत्तर पांचाल की राजधानी हुआ करता था यह वही पानचल राज्य है जिसका वर्णन गीता महाभारत में मिलता जिसके राजा पांचाल नरेश द्रुपद हुआ करते थे और राजकुमारी द्रौपदी उनकी पुत्री थीं। महाभारत का युद्ध करते कर्ण अर्जुन का बहुत ही दुर्लभ और महत्वपूर्ण दृश्य जो की किसी शिला या दीवार पर उकेरा गया होगा जिसे अहिछ्त्र अर्कायोलॉजिकल साइट से प्राप्त किया गया था।
भगवान शिव का रूद्र अवतार जिसे साफ़ उनके माथे पर तीसरी आँख से पहचाना जा सकता है
भगवान शिव द्वारा राजा दक्ष यज्ञ विध्वंस का दृश्य
एक देवी की प्रतिमा जिसमे आधा शरीर पशु का है और आधा शरीर मनुष्य का उनकी गोद में भगवान् विराजमान हैं और पीछे गन्धर्व परिचारक के रूप में खड़े हैं
माँ गंगा और माँ यमुना की मूर्ती जो की करीब 4000 से 5000 साल पुरानी होंगी
अहिछ्त्र अर्कायोलॉजिकल साइट से भगवान शिव पार्वती और उनके पुत्र कुबेर की प्रतिमाएँ भी प्राप्त हुईं
अहिछ्त्र प्राचीन काल में पांचाल राज्य का हिस्सा था जहाँ आज भी पांचाल नरेश के किले के अवशेष मौजूद हैं और उस क्षेत्र को भारत के अर्कायोलॉजिकल विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है और यहाँ से खुदाई में 5000, 4000 साल पुरानी महत्वपूर्ण वस्तुएं प्राप्त होती रही हैं जैसे सिक्के और महाभारत कालीन ईंटे मूर्तियां महाभारत के दृश्य की शिलाएं आदि।