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mata ke nau roop kaunse hain navratri 9 Devi. Maa Durga जानिए माँ दुर्गा के नौ रूप और उनके बारे में, नौ रूपों के नाम
Sunday, 10 Oct 2021 13:27 pm
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नवरात्री एक हिन्दू त्यौहार है जो साल में दो बार मनाया जाता है एक गर्मियों के मौसम में और दूसरा सर्दियों की शुरुआत से ठीक पहले या कहें इस के बाद से सर्दियों का मौसम अपनी मीठी मीठी ठंडक बिखेरने लगता है। 
नवरात्री का मतलब होता है नौ रातें। इन नौ दिनों में माता रानी की हर दिन उनके अलग रूप की पूजा की जाती है। माता रानी के नौ रूपों के नौ अलग नाम है और हर एक का अलग महत्व भी है। 
माता रानी के नौ नाम हैं 
शैलपुत्री
ब्रह्मचारिणी 
चंद्रघंटा 
कुष्मांडा 
स्कंदमाता
कात्यायनी
कालरात्रि
महागौरी
सिद्धदात्री

1. शैलपुत्री रूप 
माता रानी का पहला रूप शैलपुत्री का है। शेल का मतलब हिमालय होता है और माता रानी ने हिमनरेश हिमालय के यहाँ जन्म लिया था इस लिए उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। इस रूप में उनका वाहन वृषभ होता है। 

2. ब्रह्मचारिणी
माता रानी का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी का है। मां ब्रह्मचारिणी के दाएं  हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल होता है । शास्त्रों में बताया गया है कि माँ दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया और महर्षि नारद के कहने पर अपने जीवन में भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। हजारों वर्षों तक अपनी कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा। 

3. चंद्रघंटा रूप 
 माता रानी का तीसरा "चंद्रघंटा" रूप जो की माता का सबसे सौम्य और शांत रूप है जिसमे उनके मुकुट पर आधा चाँद और उस से लटकती घंटी का विशेष महत्व है क्यूंकि चन्द्रमा से लटकती घंटी की ध्वनि सारी बुरी शक्तियों और असुरों का नाश कर देती है।  इस लिए माता के इस रूप को चंद्रघंटा रूप कहते है। 

4. कुष्मांडा रूप 
 माता रानी के चौथे रूप के बारे में माना जाता है कि सृष्टि की उत्पत्ति से पूर्व जब चारों ओर अंधकार था तो मां दुर्गा ने इस अंड यानी ब्रह्मांड की रचना की थी। इसी कारण उन्हें कूष्मांडा कहा जाता है। सृष्टि की उत्पत्ति करने के कारण इन्हें आदिशक्ति नाम से भी पुकारा जाता है। माता के इस रूप में उनका वाहन शेर होता है। माता के सात हाथों में चक्र, गदा, धनुष, कमण्डल, कलश, बाण और कमल है।

5. स्कंदमाता  रूप 
"स्कंद" शिव और पार्वती के दूसरे और षडानन (छह मुख वाले) पुत्र कार्तिकेय का एक नाम है।  स्कंद की मां होने के कारण ही इनका नाम स्कंदमाता पड़ा।माता रानी के इस रूप की चार भुजाएं हैं और इन्होंने अपनी दाएं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद अर्थात कार्तिकेय को पकड़ा हुआ है और इसी तरफ वाली निचली भुजा के हाथ में कमल का फूल है। बाईं ओर की ऊपर वाली भुजा में वरद मुद्रा है और नीचे दूसरा श्वेत कमल का फूल है। माता के इस रूप में उनका वाहन शेर होता है। 

6. कात्यायनी रूप
माता रानी का छठा रूप है कात्यायनी रूप क्योंकि इन्होंने कात्य गोत्र के महर्षि कात्यायन के यहां पुत्री रूप में जन्म लिया। माता के इस रूप में 
इनकी चार भुजाएं हैं। दाईं ओर के ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में है और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में खड्ग है और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है। माता के इस रूप में भी उनका वाहन शेर है। 

7. कालरात्रि रूप 
माता रानी का सातवां रूप है कालरात्रि रूप जिसमे माता रानी काले अंधकार की महिमा में दिखाई देती हैं। ये रूप माता का रौद्र रूप माना जाता है  जिसमे वे असुरों का नाश करती हैं इस रूप में वह सजी धजी नहीं बल्कि संघारक रूप में होती हैं यानि केश बिखरे हुए और मुखमंडल पर क्रोध और तीसरी आँख और हाथों में खड्ग होता है। इस रूप में माता का वाहन गर्दभ (गधा) होता है। 

8. महागौरी रूप 
माता रानी का आठवां रूप महा गौरी का होता है जिसमे वह पूर्ण रूप से सफ़ेद रूप में होती हैं जिसमे उनके वस्त्र और आभूषण भी श्वेत होते हैं। इनका ऊपर वाला दाहिना हाथ अभयमुद्रा में है और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है। बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू है, और नीचे वाला हाथ वरमुद्रा में है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान् शिव को पतिरूप में पाने के लिये इन्होंने हजारों सालों तक कठिन तपस्या की थी जिस कारण इनका रंग काला पड़ गया था लेकिन बाद में भगवान् महादेव ने गंगा के जल से इनका रूप फिर से पहले जैसा कर दिया। इस रूप में माता का वाहन वृषभ होता है। 

9. सिद्धिदात्री रूप 
माता रानी का नौवा रूप ही सिद्धिदात्री रूप इस रूप में माता सभी प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं और वह कमल पर विराजमान होती हैं। इनके इस रूप में एक हाथ में चक्र एक में कमल एक में गदा और एक में शंख होता है। हिन्दू ग्रंथों में कई प्रकार की सिद्धियों का वर्णन मिलता है और इन सिद्धियों को माता रानी के सिद्धिदात्री रूप के पूजन से प्राप्त किया जा सकता है।  माता के इस रूप में उनका वाहन शेर होता है। 

INFO CREDIT:navbharattimes.indiatimes.com