कोल्डिहवा आर्केओलॉजिकल साईट बेलन नदी के बाएं तट पर स्थित है। जो की अल्ल्हाबाद शहर से 85 km की दूरी पर कोरों सब division में आता है। यह साईट एक टीले क रूप में है जो आंशिक रूप से नदी और नाले से और आंशिक रूप से निश्फल भूमि स्थलाकृति द्वारा नष्ट हो गया है, जिसके परिणाम स्वरूप यह कई छोटे टीलों में टूट गया है, जिनमें से दो नदी के किनारे स्थित हैं और दूसरा दक्षिण-पूर्व कोने में स्थित है। इस जगह पर 1972 -73 73 -74 , 74 -75 , 75 -1976 तक पुरातात्विक सर्वेक्षण किये गए। कोल्डिहवा से तीन अलग अलग काल के अवशेष तीन अलग सतह से प्राप्त हुए हैं- Neolithic, Chalcolithic and early Iron Age .जिनमे से नवपाषाणकालीन अवशेष जटिल प्राकृतिक मिट्टी पर टिका हुआ है।कोल्डिहवा में मौजूद तीन सतह अवशेष इस ओर इशारा करते हैं की भारत में कृषि बहुत प्राचीन से से और अलग अलग काल में होती आयी है और हमारे पूर्वजों को कृषि, पशु पालन और मिटटी से बर्तन बनाना उन्हें आग में पकाना भी आता था। कोल्डिहवा के आलावा यहाँ अन्य अर्कायोलॉजिकल साइट्स भी हैं जैसे महगारा, पंचोहा, इन्दारी, टोक्वा, कुनझुन अर्कायोलॉजिकल साइट्स जिनके सर्वेक्षण से यह पता लगा की भारत में कृषि का इतिहास 7th मिललेनियम Bc के काल का है। शोधकर्ताओं के अनुसार भारत में नोलोथिक काल में चावल, गन्ना और अन्य कई ट्रॉपिकल फलों की खेती मूल रूप से की जाती थी जिनमे आम जैसे फल शामिल थे। यहाँ से निओलिथिक काल के मिटटी के बर्तन, ढलाई करे हुए पत्थर के औज़ार, गोलाकार किये हुए बेसाल्ट पत्थर और कई निओलिथिक काल के blades and microliths.
The mound is eroded partly by river and nullah and partly by nishphal land topography, as a result of which it is broken into a number of small mounds of which two are situated along the river and the other one lies at the southeast corner. koldihwa yielded threefold cultural sequence. the neolithic deposit rests on compzct natural soil.
information credit: History of Agriculture In India
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