The Earliest Punch Marked Coins- BENT BARS
ये सिक्के,चाँदी गूदे हुए चिह्नित सिक्कों का एक वर्ग,स्थानीय रूप से ये सिक्के उत्तर-पश्चिमी भारत, विशेष रूप से गांधार क्षेत्र के हैं। इन्हें इसलिए कहा जाता है क्योंकि जो नमूने पहले उपलब्ध थे वे बार के रूप में थे, जिन्हे अवतल आकार में मोड़ कर बनाया गया था। लेकिन बाद में ऐसे नमूने प्रकाश में आए जो मुड़े नहीं थे इसलिए शोधकर्ता अब इन्हें पहिए के निशान वाले सिक्के बुलाना पसंद करते हैं , क्योंकि इन सिक्कों पर अवतल तरफ पहिए के निशान होते हैं। ये सिक्के दो प्रकार के होते हैं 1) बड़े- अवतल पक्ष पर दो पहिया के निशान और दूसरी तरफ खाली। और 2) छोटे- जिनपे केवल एक पहिये का चिह्न है , और शायद ऐसे वाले सिक्के कम मूल्यवर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। शोधकर्ता Smith के अनुसार ये मुड़ी हुई पट्टियाँ 600 ईसा पूर्व और 500 ईसा पूर्व की हैं। कुछ विद्वान इन्हें वज़न नापने वाले "वाट" मानते हैं, सिक्के नहीं। जबकि कुछ शोधकर्ता इन लम्बे चतुर्भुजाकार सिक्कों को 172 अनाज के डबल-सिग्लोस मानते हैं और एक पहिये वाले सिक्कों को, इसके निचले मूल्यवर्ग का सिग्लॉस मानते हैं । लेकिन फ़ारसी सिग्लोस आकार में अंडाकार थे और उस पर राजा की मूर्ति गुदी होती थी अगर सिग्लॉस के बारे में और गहराई से अध्यन किया जाये तो ये पता लगता है की एक सिग्लॉस का वज़न 86 grains होता था और दोगुने सिग्लॉस का वज़न मतलब 172 grains, हुआ जबकि औसतन bent बार का वज़न ( थोड़ा बहुत अगर कम हुआ हो समय के साथ तो भी ) 179.6 grains अनाज के दाने है जिस से ये थ्योरी इन बेंट बार्स पर ठीक नहीं बैठती। दूसरी तरफ एक और शोधकर्ता V.S.Agrawala के अनुसार ये बेंट bar सतमाना मुद्राओं का एक हिस्सा हो सकते हैं जिनमे 100 रत्ती की एक मुद्रा हुआ करती थी जिसका वज़न 180grains हुआ करता था। जो इस पर ज़्यादा सटीक बैठती है .इन मुड़े हुए सिक्कों को लेकर कई शोधकर्ताओं के अलग अलग अनुमान हैं जैसे Allan के अनुसार ये सिक्के रुपी चाँदी की मुद्राएँ थीं जो तक्षशिला के सम्राट ने Alexander को भेंट में दीं थीं।
इन सिक्कों के बारे में अभी तक यह कह पाना मुश्किल है की किस राजा ने और किस लिए इन चांदी के मुड़े हुए सिक्कों को बनवाया था।
information credit: Encyclopaedia of Indian Coins
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