भारत की प्राचीन कृषि और सिचाई कार्यों और साधनों की एक झलक देखने को मिलती है राजस्थान के मंडोर के एक प्राचीन मंदिर की एक छत्त के पैनल पर जिसमे एक पर्शियन व्हील घूमता हुआ चित्रित किया गया है। इस बात को लेकर शोधकर्ताओं की अलग अलग मत रहे हैं की ये स्वचालित पॉट व्हील है या हाथ से चलने वाला। लेकिन इतना तय है की भारत में भी कृषि कार्यों के लिए पॉट व्हील तकनीक का इस्तेमाल किया जाता था। और इतना ही नहीं कुछ शोधकर्ताओं का ये भी कहना है की ये तकनीक भारत में पर्शिया से नहीं आयी बल्कि यहाँ पहले से ही थी और इस का उल्लेख प्राचीन भारत करीब 3 शताब्दी ईसामसि पूर्व के लेखों जैसे पंचतंत्र में भी मिलता है। संस्कृत में पर्शियन पॉट व्हील को आराघटा कहते थे। प्राचीन लेखों और वेदों जैसे ऋग्वेद में कुएं से पानी निकाल कर सिचाई के तरीकों का वर्णन मिलता है जिसमे कुएं से पानी निकालने के लिए रस्सी और चक्र का उल्लेख है इसके आलावा अन्य प्राचीन लेखों के अनुसार आराघाटा का उपयोग खुले चौड़े मुँह वाले कुएं से जल्दी, लगातार और ज़्यादा पानी निकालने के लिए किया जाता थाऔर इस तकनीक का उपयोग आज भी भारत में कई जगह होता है, जिसमे एक बड़े से लकड़ी के पहिये की ऊपरी तरफ एक कतार में कई सारे मिटटी के घड़े लगे होते हैं और उसे या तो मानव हाथों से या फिर बैलों द्वारा रस्सी से घुमवाया जाता है, जिससे पानी घड़ों में भरता जाता है और एक पतली नहर जो की ठीक नीचे बानी होती है से होता हुआ खेतों में जाता है
info credit:History of agriculture in India
pic credit:youtube and History of agriculture in India