पिट्ठी वाली कचोरी
पिट्ठी वाली कचोरी आलू की सब्ज़ी या कोई भी सूखी सब्ज़ी के साथ बहुत अच्छी लगती हैं बहुत से लोग कचोरी को अचार या हरी चटनी के साथ खाना भी पसंद करते हैं। कचोरियों की विशेष बात ये है की ये बासी हो जाने के बाद बहुत स्वादिष्ट लगती हैं जिन्हें शाम की चाय या दूध के साथ स्नैक्स के तौर पर भी खाया जा सकता है और सफर में भी लेजाना अच्छा रहता है और अगर बच्चों के लिए देखा जाए तो स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन भी है क्यूंकि इसमें दाल और आटा एक साथ बच्चों को खिलाया जा सकता है। ये ही नहीं दाल की कचोरी बच्चों के टिफ़िन के लिए भी एक अच्छा और सरल विकल्प हो सकता है। अपना काम सरल करने के लिए आप थोड़ी अधिक मात्रा में दाल की पिट्ठी सूखी सूखी पीस कर तयार कर के फ्रिज में कई दिनों कलिए भी रख सकते हैं।
पिट्ठी या दाल की कचोरी बनाने के लिए धूलि उरद दाल को पहले भिगो लें। भीगी दाल को अच्छे से निचोड़ लें और जितना सूखा हो सके पीस लें। अगर कचोरी का स्वाद बढ़ाना है तो दाल को दरदरा पीसें साथ में अदरक, हरा धनिया और हरी मिर्च भी पीसें। पीसी हुए पेस्ट में बारीक कटा धनिया, नमक, हींग, लाल मिर्च मिला कर एक जगह रख लें।
दाल की कचोरी दो तरीके से बनती हैं, एक पिट्ठी लोई में भर कर और दुसरे आटे में पिट्ठी मिला कर आटा गूंद के। दोनों तरह की कचोरी का स्वाद बिलकुल अलग होता है।
एक बार पिट्ठी तैयार हो जाए तो कढ़ाई में तेल या घी गरम कर लें और सुविधा के लिए थोड़ी सी कचोरियाँ पहले बेल के रख लें और मद्धम आँच पर गैस को कर लें याद रखे की कचोरी का आटा मुलायम मलें इससे बेलते समय कचोरी फटेगी नहीं अब एक लोई लें और उस को थोड़ा मोटा बेल लें और उस में थोड़ा सा घी लगा कर सूखा आटा बुरक कर उस पर थोड़ी पिट्ठी रख कर बंद कर लें और हलके हाथ से बेलें इससे आपकी कचोरी बेलते समय फटेगी नहीं और तलते समय अच्छी फूल जाएगी।
इस लेख में दी गयी जान करि केवल सामान्य सूचना के लिए है। इस लेख में जानकारी विभिन्न माध्यमों से संगृहीत की गयी है इसलिए इन्हें अंतिम सत्य अथवा दवा न मानें और अपने विवेक का प्रयोग करें।