गिलोय एक औषदीय बेल है जिसके पत्ते पान के पत्ते की तरह ही दिखते हैं। आइये जानते हैं गिलोय के बारे में आयुर्वेद में क्या बताया गया है और इसके सही उपयोग से होने वाले फायदे और नुक्सान के बारे में।
गिलोय अमृता, अमृतवल्ली अर्थात् कभी न सूखने वाली एक बड़ी लता है। इसका तना देखने में रस्सी जैसा लगता है। इसके तने तथा शाखाओं से जडें निकलती हैं।इसलिए इसे काट काट फिर से दूसरी जगह बोया जा सकता है। इस पर पीले व हरे रंग के फूलों के गुच्छे लगते हैं। इसके पत्ते कोमल तथा पान के आकार के और फल मटर के दाने जैसे होते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, गिलोय में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ाने वाले गुण होते हैं।और इसके तने को उबाल कर या पीसकर रास बनाकर पानी में मिला क्र पिया जाता है। इसकी बेल जिस पेड़ पर चढ़ती है, उस वृक्ष के कुछ गुण भी इसके अन्दर आ जाते हैं। इसीलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय सबसे अच्छी मानी जाती है।
गिलोय के अन्य भाषाओँ में अनेक नाम हैं जैसे :
गिलोय को लैटिन भाषा में टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया ( Tinospora cordifolia (Willd.) कहते हैं।
हिंदी में – गडुची, गिलोय, अमृता
अंग्रेजी में – इण्डियन टिनोस्पोरा (Indian tinospora), हार्ट लीव्ड टिनोस्पोरा (Heart leaved tinospora), मून सीड (Moon seed), गांचा टिनोस्पोरा (Gulancha tinospora)
बंगाली में - गुंचा (Gulancha), पालो गदंचा (Palo gandcha), गिलोय (Giloe)
संस्कृत में – वत्सादनी, छिन्नरुहा, गुडूची, तत्रिका, अमृता, मधुपर्णी, अमृतलता, छिन्ना, अमृतवल्ली, भिषक्प्रिया
उड़िया – गुंचा (Gulancha), गुलोची (Gulochi)
कन्नड़ – अमृथावल्ली(Amrutavalli), अमृतवल्ली (Amritvalli), युगानीवल्ली (Yuganivalli), मधुपर्णी (Madhuparni)
गुजरती में – गुलवेल (Gulvel), गालो (Galo)
गोवा में – अमृतबेल (Amrytbel)
तमिल – अमृदवल्ली (Amridavalli), शिन्दिलकोडि (Shindilkodi)
तेलगु – तिप्पतीगे (Tippatige), अमृता (Amrita), गुडूची (Guduchi)
पंजाबी – गिलोगुलरिच (Gilogularich), गरहम (Garham), पालो (Palo)
मराठी – गुलवेल (Gulavel), अम्बरवेल(Ambarvel)
मलयालम – अमृतु (Amritu), पेयामृतम (Peyamrytam), चित्तामृतु (Chittamritu)
गिलोय के फायदे:
१ गिलोय आँखों के रोग में फायदेमंद है।
२ गिलोय के सेवन से कब्ज का इलाज हो सकता है।
३ गिलोय लीवर विकार को ठीक करता है।
४ डायबिटीज की बीमारी में उपयोगी ।
५ गठिया में फायदेमंद गिलोय।
६ फाइलेरिया को ठीक करने में मददगार है गिलोय का सेवन
७ बुखार उतारने में मदद मिलती है
८ एसिडिटी की परेशानी ठीक करता है गिलोय
गिलोय के सेवन की सही मात्रा:
काढ़ा – 20-30 मिली
रस – 20 मिली
ऐसा नहीं है की गिलोय की सिर्फ फायदे ही है इसकी सही जानकारी न हो तो गिलोय के सेवन से उल्टा नुकसान भी हो सकता है।
गिलोय डायबिटीज को कम करता है। इसलिए जिन्हें कम डायबिटीज की शिकायत हो, वे गिलोय का सेवन न करें।
इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
गिलोय की आसानी से सभी जगह उग जाती है। यह भारत में सभी स्थानों पर पायी जाने वाली एक औषधीय बेल है जो कुमाऊँ से आसाम तक, बिहार तथा कोंकण से कर्नाटक तक सभी जगह आसानी से उग जाती है। यह समुद्र तल से लगभग 1,000 मीटर की ऊँचाई तक पाई जाती है।
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