दालचीनी दक्षिण एशिया के देशों में पाया जाने वाला एक पेड़ है जिसकी चाल को सूखा कर पीसा जाता है और मसाले के तौर पर उपयोग किया जता है
भारत में दालचीनी को गरम मसाले के अन्य मसलों के साथ पीसा जाता है और अलग से भी प्रयोग किया जाता है जैसे चाय में और पुलाव में दाल कर लेकिन क्या आप जानते हैं की यह सिर्फ एक मसाला ही नहीं है बल्कि आयुर्वेद में दालचीनी को एक बहुत ही फायदेमंद औषधि के रूप में बताया गया है। आयुर्वेद के अनुसार, दालचीनी के इस्तेमाल से कई रोगों का इलाज किया जा सकता है।
दालचीनी की छाल पतली, पीली, और सुगन्धित होती है। यह भूरे रंग की मुलायम, और चिकनी होती है। इसके फूल छोटे, हरे या सफेद रंग के होते हैं। दालचीनी का प्रयोग कई तरह की बीमारियों को ठीक करने में किया जाता है।
दालचीनी के उपयोगी भाग हैं
पत्ते
छाल
जड़
तेल
दालचीनी कहां पाया या उगाया जाता सकता है :-
दालचीनी की खेती दक्षिण-पश्चिमी भारत के समुद्र-तटीय, और निचले पहाड़ी क्षेत्रों जैसे- तमिलनाडु, कर्नाटक एवं केरल में की जाती है। दालचीनी 6-16 मीटर ऊंचा, और मध्यम आकार का होता है। इसके पत्ते गुलाबी रंग के, और चमकीले-हरे होते हैं। इसकी खेती जुलाई से दिसम्बर तक की जाती है।
दालचीनी के अन्य नाम
हिंदी– दालचीनी, दारुचीनी, दारचीनी
English– ट्रु सिनैमोन (True Cinnamon), सीलोन सिनामोन (Ceylon Cinnamon)
Sanskrit– त्वक्, स्वाद्वी, तनुत्वक्, दारुसिता, चोचम, वराङ्ग, भृङ्ग, उत्कट
Oriya– दालोचीनी,दारूचीनी
Kannada– लवङ्ग चक्के (Lavanga chakke), तेजदालचीनी (TejaDalchini)
Gujarati– दालचीनी (Dalchini), तज (Taj)
Tamil– लवंग पत्तै (Lavang pattai)
Telugu– लवंगमु (Lavangamu)
Bengali– दारुचीनी (Daruchini)
Punjabi– दाचीनी (Dachini), किरफा (Kirfa)
Malayalam– एरिकोलम (Erikkolam), वरनम (Varanam)
Marathi– दालचीनी (Dalchini)
Nepali– दालचीनी (Daalchiinii), कुखीतगी (Kukhiitagi)
दालचीनी के फायदे :
1. आंखों के रोग में दालचीनी का प्रयोग :दालचीनी का तेल आंखों के ऊपर (पलक पर) लगाएं। इससे आंखों का फड़कना बन्द हो जाता है, और आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
2. दांत के दर्द से आराम पाने के लिए दालचीनी के तेल को रूई से दांतों में लगाएं। इससे आराम मिलेगा।
दालचीनी के 5-6 पत्तों को पीसकर मंजन करें। इससे दांत साफ, और चमकीले हो जाते हैं।
3. दालचीनी का प्रयोग कर सिर दर्द से आराम के लिए दालचीनी के 8-10 पत्तों को पीसकर लेप बना लें। दालचीनी के लेप को मस्तक पर लगाने से ठंड, या गर्मी से होने वाली सिर दर्द से आराम मिलता है। आराम मिलने पर लेप को धोकर साफ कर लें।
4. दालचीनी के तेल से सिर पर मालिश करें। इससे सर्दी की वजह से होने वाले सिरदर्द से आराम मिलता है।
5.जुकाम में दालचीनी को पानी में घिस कर, गर्म कर लें, और लेप के रूप में लगाएं। इससे जुकाम में फायदा होता है।
दालचीनी का रस निकालकर सिर पर लेप करने से भी लाभ होता है।
6 खांसी के इलाज के लिए दालचीनी का प्रयोग करना फायदेमंद होता है। खांसी से परेशान रहने वाले लोग आधा चम्मच दालचीनी के चूर्ण को, 2 चम्मच मधु के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे खांसी से आराम मिलता है।
दालचीनी के पत्ते का काढ़ा बना लें। 10-20 मिली मात्रा में सेवन करने से खांसी ठीक होती है।
एक चौथाई चम्मच दालचीनी के चूर्ण में 1 चम्मच मधु को मिला लें। इसे दिन में तीन बार सेवन करने से खांसी, और दस्त में फायदा होता है।
7. दालचीनी का उपयोग कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए भी किया जाता है।
8. चर्म रोग में दालचीनी :चर्म रोग को ठीक करने के लिए शहद एवं दालचीनी को मिलाकर रोग वाले अंग लगाएं। थोड़े ही दिनों में खुजली-खाज, तथा फोड़े-फुन्सी ठीक होने लगेंगे।
9. दालचीनी के सेवन से बुखार में लाभ
1 चम्मच शहद में 5 ग्राम दालचीनी का चूर्ण मिला लें। सुबह, दोपहर और शाम को सेवन करने से ठंड के साथ आने वाला संक्रामक बुखार ठीक होता है।
दालचीनी का उपयोग कर रक्तस्राव पर रोक लगायी जा सकती है :
अगर फेफड़ों, या गर्भाशय से रक्तस्राव हो रहा है तो दालचीनी का काढ़ा 10-20 मिली पिएं। आपको काढ़ा को सुबह, दोपहर तथा शाम पीना है। इससे लाभ पहुंचता है।
शरीर के किसी भी अंग से रक्तस्राव होने पर एक चम्मच दालचीनी चूर्ण (Dalchini powder) को एक कप पानी के साथ सेवन करें। इसे 2-3 बार सेवन करना है।
दालचीनी के नुकसान
दालचीनी के नुकसान भी होते हैं
दालचीनी का अधिक मात्रा में सेवन करने से सिर में दर्द की शिकायत हो सकती है।
दालचीनी गर्भवती स्त्रियों को नहीं देनी चाहिए, क्योंकि यह गर्भ को गिरा देती है।
दालचीनी को गर्भाशय में भी रखने से भी गर्भ गिर जाता है।
इसलिए दालचीनी के नुकसान से बचने के लिए इस्तेमाल से पहले चिकित्सक से सलाह जरूर लें।
info credit:1mgarth
इस लेख में दी गयी जान करि केवल सामान्य सूचना के लिए है। इस लेख में जानकारी विभिन्न माध्यमों से संगृहीत की गयी है इसलिए इन्हें अंतिम सत्य अथवा दवा न मानें और अपने विवेक का प्रयोग करें।