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रणथम्भौर किला, सवाई माधोपुर राजस्थान (ranthambhor fort,sawai madhopur rajasthan)

रणथम्भौर किला, सवाई माधोपुर राजस्थान (ranthambhor fort,sawai madhopur rajasthan)

पुरातत्व विभाग द्वारा भारत के सबसे मजबूत माने जाने वाले  किलों मे एक, रणथम्भौर किले का इतिहास 5 वी शताब्दी से शुरू होता है। महाराजा जयंत ने इस किले का निर्माण करवाया था और 12  वी शताब्दी मे महाराजा पृथ्वी राज चौहान भी इस किले मे शासन कर चुके हैं और उनके बाद सन 1282 -1301  मे राजा हम्मीर देव ने शासन किया,और सब शासकों मे से राजा हम्मीर देव सबसे शक्तिशाली शासक थे। 


      ऐसा माना जाता है की इनके शासन काल मे अलाउद्दीन खिलजी  ने कई बार युद्ध किया लेकिन वो उनसे जीत नहीं पाया जिसके बाद उसने आखिरी युद्ध मे एक षड़यंत्र रचा जिसमे, उसने संधि के नाटक के बहाने राजा हम्मीर देव के तीन दूतों को अपने खेमे मे बुला कर अपने षड़यंत्र मे शामिल कर लिया और उनसे राजा की हार का सन्देश काले झंडे को लहराते हुए राजा के महल मे ले जाने को कहा जिससे रानियों को पता चल सके की राजा की  युद्ध मे हार हुई है और काले झंडे को देख कर रानियों ने जौहर कर लिया ।


   दूसरी ओर जब राजा को षड्यंत्र का पता चला तो उन्होंने उन तीनों दूतों का पीछा किया और किले के बाहर एक दूत का सर धड़ से अलग कर दिया जिसके बाद वे किले मे प्रवेश करने के लिए आगे बड़े और दो बचे दूतों ने प्रवेश द्वार बंद कर दिया जिस वजह से राजा अपना घोड़ा लेकर दिवार पर ही ऊपर चढ़ गये और उनके घोड़े के पैर के निशान आज भी उस दीवार पर दिखाई देते हैं, किन्तु दुर्भाग्य से रानियों को  ना बचा पाने के क्रोध और विवशता के कारण शिव मंदिर मे जाकर अपने भी धड़ का त्याग कर दिया।


         राजा हम्मीर देव ने अपने जीते जी तो किसी आक्रमणकारी को किले मे प्रवेश नहीं करने दिया किन्तु उनकी मृत्यु के पश्चात  ही अलाउद्दीन  खिलजी इस किले मे प्रवेश कर पाया इसके शासन काल के बाद मुगलों और अंग्रेजों का भी  इस किले पर नियंत्रण रहा।


इस किले को "बख्तरबंद दुर्ग"  भी कहते हैं क्योंकि ये चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा है जो किसी समय मे सुरक्षा कवच का काम करता था ।
इस किले मे सात प्रवेश द्वार हैं जिनके नाम हैं "नवलखा पोल, हाथी पोल,गणेश पोल,अँधेरी पोल,सतपोल,सूरज पोल ,दिल्ली पोल "। इनमे से कुछ प्रवेश द्वार बहुत ख़ास हैं जैसे दूसरा प्रवेश द्वार  जिसका नाम हाथी पोल है जो की बाहर से दिखाई नहीं देता है क्योंकि इसके सामने एक मोटी और  मजबूत दीवार बनी है जिसके पीछे का कारण ये बताया जाता है की पहले के समय मे हाथियों से आक्रमण कर प्रवेश द्वार तुड़वाये जाते थे और हाथी को द्वार तोड़ने के लिए ज़्यादा जगह चाहिए होती थी जो इस किले मे ना मिल पाने के कारण आक्रमणकारियों से सुरक्षित रहता था।


      वैसे तो यहाँ कई तालाब हैं लेकिन "पद्मला तालाब" मुख्य तालाब माना जाता है क्योंकि  यही वो तालाब है जहाँ राजा हम्मीर देव की रानियों ने जल जौहर किया था और ये बताया जाता है की इस किले के निर्माण मे जिन पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था उन्हे इन्ही तालाबों से खोद कर निकाला गया था इस किले के मुख्य आकर्षण के केंद्र हैं गणेश मंदिर ,हम्मीर महल , रानी महल ,बत्तीस खंभा छतरी ,दरगाह , बादल महल ,झंवरा -भंवरा (अन्न भंडार ) हैं।
अपने प्राचीन इतिहास के कारण  रणथम्भौर किले को  सन  2013  मे यूनेस्को ने  वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित कर दिया।


 

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