history of onam,क्यों आते है धरती पर हर साल राजा बलि । केरल ओणम फेस्टिवल
keral festivalक्यों आते है धरती पर हर साल राजा बलि । केरल ओणम फेस्टिवल , keral onam festival
जिस प्रकार उत्तर भारत में दीपावली एक प्रमुख त्यौहार है उसी तरह दक्षिण भारत के केरल में ओणम प्रमुख त्यौहार है
यह त्यौहार राजा बलि की याद में मनाया जाता है।प्रत्येक वर्ष श्रवण नक्षत्र में इस त्यौहार का आयोजन किया जाता है। श्रवण नक्षत्र को ही मलयाली में ओणम कहते हैं। मलयालम कैलेण्डर के अनुसार, चिंगम महीने में थिरुवोणम नक्षत्र होने पर यह त्यौहार मनाया जाता,ये त्यौहार दस दिन तक मनाया जाता है जिसमे सभी लोग अपने घरों में रंगोली बनाते हैं फूलों से सजाते है , नए वस्त्र धारण करते हैं और कई तरह के कार्यक्रम का आयोजन भी होता है जैसे हाथी का जुलूस, नौका-दौड़, पारम्परिक नाच आदि. माना जाता है की इस दिन राजा बलि अपनी प्रजा को देखने आते हैं।
इस उत्सव का सम्बन्ध विष्णु के वामन अवतार से भी है। इस दिन सभी लोग भगवान् विष्णु के साथ-साथ राजा बलि की पूजा करते हैं।
कोई भी त्यौहार अच्छे पकवानों के बिना अधूरा होता है उसी तरह ओणम में भी साद्या भोज का एक अहम् स्थान है , ‘साद्या’ केरल का महाभोज है इसमें 24 से 28 व्यंजन तक परोसे जाते हैं। बताया जाता है की पहले इनकी संख्या 64 तक होती थी। सारे व्यंजन शाकाहारी होते हैं और केले के पत्ते पर अपने सुनिश्चित स्थान पर ही परोसे जाते हैं। बाएं हाथ के ऊपर अचार रखा जाता है और नीचे की तरफ केला, ऊपर की तरफ पापड़, नमक, नींबू की फांक, चटनियां केले तथा कटहल और जिमीकंद के चिप्स आदि रहते हैं.
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