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कहानी बंगाली बिरयानी की :-

कहानी बंगाली बिरयानी की :-bengali biryani, history of biryani

बंगाली खाने में जिस साम्राज्य की सबसे ज्यादा छाप देखने को मिलती है वो है मुग़ल सल्तनत और लखनवी नवाबों की और इस बात का सबूत इनके मीट तैयार करने के तरीके मे मिलता है । अब हम ये तो नहीं कह सकते की भारत मे बिरयानी कब और कैसे आयी लेकिन ये बात तो तय है की सदियों पहले भी मुगलों से लेकर नवाबों तक बिरयानी का जादू सर चढ़कर बोलता था और आज भी उसके स्वाद का जादू बरकरार है । फिर चाहे वो कश्मीर हो या लखनऊ ,बंगाल हो या हैदराबाद ।भारत मे बिरयानी को लोग सदियों से खाते आ रहे हैं या ये कहना  भी गलत नहीं होगा की शौक से खाते आ रहे हैं । यहाँ हम आपको बताना चाहेंगे की बिरयानी एक ऐसा व्यंजन हैजिसे हर जगह के लोग अपने अनुसार अलग अलग रूप रंग के साथ पकाते हैं । बिरयानी मूलतः भारतीय व्यंजन नहीं है लेकिन ये भारत मे कब और कैसे आयी इसे लेकर कई धारणाएं हैं जिसमे से एक धारणा यह है की तुर्क मुग़ल शासक तैमूर सन 1398  मे जब भारत आये तो वो अपने साथ बिरयानी  की रेसेपी लेकर आये जो की उनके सैनिकों के भोजन के रूप मे तैयार की गयी थी जिसमे मिट्टी के घड़ों मे चावल, मसाले और मीट को भर कर आग के गड्ढे मे दबाया जाता था और पक जाने के बाद सैनिकों को परोसा जाता था।   

 दूसरी धारणा के अनुसार बिरयानी भारत मे अरब के व्यापारी अपने साथ लेकर आये. और तीसरी धारणा के अनुसार बिरयानी  भारत मे मुग़ल काल मे शाही रसोई मे बनने वाले व्यंजन के रूप मे विकसित हुई ।   मुग़लों के बाद आया नवाबों और अंग्रेजी हुकूमत का दौर और इसी दौरान अंग्रेज़ों ने कई नवाबों की रियासतें छीन लीं जिस वजह से मजबूरन उनको दूसरी दूसरी जगह पलायन करना पड़ा और इस तरह 19  वि   शताब्दी मे अवध के आखिरी  राजा लखनऊ से कलकत्ता पहुंचे जहाँ वो अपने साथ लाये आपने अपने ख़ास खानसामे और मसाले।     

 

  

इस तरह बिरयानी मुग़लों और नवाबों की रसोइयों से होती हुए पहुंची बंगाल ।  जहाँ एक तरफ हैदराबाद और लखनवी बिरयानी मे मीट की मात्रा ज़्यादा होती है वहीँ कलकत्ता दम बिरयानी मे मीट के साथ साथ उबले हुए फ्राइड आलू और अण्डों को डाला जाता है। जिसके पीछे की कहानी ये बताई जाती है की अवध के नवाब अपना राज पाट छिन जाने के बाद कलकत्ता आये

 

और आर्थिक परिस्थितियों के कारण मीट की कमी को पूरा करने के लिए उनके खानसामों ने आलू और अण्डों को डाल कर एक नयी बिरयानी  तैयार की जो आगे चलकर "कलकत्ता दम बिरयानी"  के नाम से मशहूर  हुई और आज के समय  मे लोग इसे अपने ख़ास मौको पर, फिर चाहें वो शादी हो या घर मे पार्टी हो या कोई खास त्यौहार हो बनाना और खाना पसंद करते हैं ।मुग़लों और नवाबों की  ये डिश आज हर दिल अज़ीज़  बन कर लोगों की जुबां पर बस गयी है।

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