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यह चीज़ नहीं है आम, यह है कोलकाता की ट्राम ( kolkata tram)

यह चीज़ नहीं है आम, यह है कोलकाता की ट्राम ( kolkata tram)

सन 1873 मे पहली बार भारत मे ट्राम्स का आगमन हुआ जो घोड़ों द्वारा खीचीं जातीं थीं , उसके बाद कुछ सालों तक ट्राम्स बंद हो गयीं , फिर सन 1902 में इलेक्ट्रिक ट्राम्स शुरू हुईं . और इस तरह भारत में इलेक्ट्रिक ट्राम्स का दौर शुरू हुआ.

आज कोलकता ( वेस्ट बंगाल) पूरे भारत में एक मात्र शहर बचा है जहाँ आज भी ट्राम्स चलती हैं . कलकत्ता ट्रामवेज़ कंपनी नाम की कंपनी इन ट्राम्स का संचालन करती है. यह पूरे एशिया का सबसे पुराना इलेक्ट्रिक ट्राम सिस्टम है जो आज भी काम कर रहा है.

एशिया की पहली इलेक्ट्रिक ट्राम कोलकाता में 1902 में चली थी, एस्प्लानेड से लेकर खिदीरपुर के बीच . आज की तारीख में शहर के करीब 25 रुट्स पर ट्राम्स दौड़ती हैं . 2013 में CTC ने A /C ट्रांस की शुरूआत की और अभी हाल ही में ट्राम्स को रीडिज़ाइन किया गया

और उन्हें नया लुक दिया गया. CTC ने सन 1938 की बनी ट्राम जो की अभी तक चल रही थी, को ट्राम म्यूज़ीयम में बदल दिया जिसका नाम स्मरणिका रखा गया ,

और अब एस्प्लानेड ट्राम डिपो ट्राम म्यूज़ीयम का स्थाई घर बन गया है. इस म्यूज़ीयम में ट्राम्स के इतिहास से जुड़ी कई चीज़े मौजूद हैं, जैसे ट्राम्स के मॉडल्स , टिकेट्स , पासेज़ , ड्राइवर्स और कंडक्टर्स के बैजेस , टोपियां और अन्य सामान जैसे कंट्रोलर्स, कॉइन एक्सचेंज मशीन आदी . यहां तक की ट्राम म्यूज़ीयम में एक कैफ़े भी है

जिस में बैठ के आप चाए/ कॉफ़ी और स्नैक्स का लुफ्त उठा सकते हैं. कोलकाता दुनिया के उन चुनिंदा शहरों में से एक है जिनकी सड़को पर आज भी ट्राम्स दौड़ती हैं .

 

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