ghodakhal mandir uttrakhand
places near Bhimtal to visit|Ghodakhal Mandir|उत्तराखंड, घोड़ाखाल एक पर्यटक स्थल
उत्तराखंड, घोड़ाखाल एक पर्यटक स्थल
यहाँ के प्रमुख आकर्षण
घोड़ाखाल मंदिर का इतिहास
समुद्र ताल से 2000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित घोड़ाखाल (घुरणखाल) वर्तमान में ग्वैल देवता, घंटियों वाला मंदिर और सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के लिए प्रसिद्ध है। गढ़ी चम्पावत के अवतारी देवता और सम्पूर्ण कुमाऊं अंचल में सर्वफलदायी और न्यायकारी देवता के रूप में प्रसिद्ध गोरिया, ग्वैल, गोरिल नाम से प्रसिद्ध देवता की उत्पत्ति कत्यूर वंश के राजा झालराव (झालराही) और माता कालिंगी के पुत्र के रूप में की जाती है। राजा की मृत्यु के बाद गोरिया ने राज्य में निर्बल व्यक्तियों को कोई भी न सताए और आपसी भाईचारे की भावना के साथ और पूर्वजन्म की बातें जानने के कारण पूजनीय हो गए, राजा बनने के पश्चात जगह जगह पर न्याय सभाएं कर न्याय दिलाने के कारण ग्वेल देवता को सम्पूर्ण कुमाऊं में न्याय देवता के रूप में पूजा जाता है।
सैनिक स्कूल घोड़ाखाल का इतिहास
उत्तराखंड का पहला सैनिक स्कूल घोड़ाखाल में स्थित है। यह क्षेत्र में इसके प्रकार का एक स्कूल है और निश्चित रूप से एक यात्रा के लायक है। वह विद्द्यालय अपने छात्रों को ठीक से बचपन से मानसिक तथा शारीरिक रूप से सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए तैयार करता है। उनमे देशभक्ति की भावना पैदा करता है, घोड़ाखाल की जलवायु सालभर शांत और स्वस्थ होती है, जिससे इस संस्था की स्थस्पना के लिए यह एक आदर्श स्थान है।
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