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अं से हिंदी कहावतें , kahawat in hindi

​​​​​​अं से सारी हिंदी कहावतें 

 

अं

अंधेरी रात और साथ में रंडुआ. किसी भी स्त्री के लिए खतरनाक स्थिति. रंडुआ – अविवाहित या विधुर पुरुष.

अंग लगी मक्खियाँ पीछा न छोड़तीं. जो लोग कोई लाभ पाने के लिए किसी के पीछे ही पड़ जाएं उन के लिए.

अंगिया का ही ओढ़ना, अंगिया का ही बिछौना. अत्यधिक निर्धनता.

अंगिया फटी क्या देखे, बेटी तो दौराले की. दौराला – मेरठ का एक कस्बा. साधन सम्पन्न न होते हुए भी अकड़ में रहना.

अंगूर खट्टे हैं. लोमड़ी और अंगूर की कहानी सबने सुनी होगी. लोमड़ी ने एक बार बेल में लटका हुआ अंगूर का गुच्छा देखा. उस के मुँह में पानी आ गया. उसने बहुत कोशिश की पर उन अंगूरों तक नहीं पहुँच सकी. अंत में यह कह कर कि अंगूर खट्टे हैं वह वहां से चली गई. जब कोई व्यक्ति अपनी पहुँच से बाहर की चीज़ को खराब बताता है तो यह कहावत कही जाती है. इस तरह की एक और कहावत है – हाथ न पहुंचे, थू कौड़ी.

अंग्रेजी राज, न तन को कपड़ा न पेट को नाज. अंग्रेजों के राज में भारतीयों की दशा बहुत खराब थी.

अंटी तर, दिल चाहे सो कर. पास में पैसा हो तो जो चाहे सो करो.

अंटी में न धेलादेखन चली मेला. पहले के लोग धोती या पाजामा पहनते थे जिसमे जेब नहीं होती थी. पैसे इत्यादि को एक छोटी सी थैली में रख कर धोती की फेंट में बाँध लेते थे या पजामे में खोंस लेते थे. इसको बोलचाल की भाषा में अंटी कहते थे. धेला एक सिक्का होता था जो कि पैसे से आधी कीमत का होता था. कहावत का अर्थ है – रुपये पैसे पास नहीं हैं फिर भी तरह तरह के शौक सूझ रहे हैं.

अंडा चींटी बाहर लावै, घर भागो अब वर्षा आवै. चींटी अगर अपना अंडा बिल में से बाहर ला रही हो तो वर्षा आने की अत्यधिक संभावना होती है.

अंडा सिखावे बच्चे को कि चीं चीं न कर. जब कोई आयु, बुद्धि या पद में छोटा व्यक्ति अपने से बड़े व बुद्धिमान व्यक्ति को कोई अनावश्यक सीख देता है तो यह कहावत कही जाती है.

अंडुवा बैलजी का जवाल. स्वतंत्र और उच्छृंखल व्यक्ति को सांड के समान बताया गया है जिसे संभालना मुश्किल काम होता है. (अंडुवा – बिना बधियाया हुआ बैल अर्थात सांड). सांड से खेती नहीं कराई जा सकती इस लिए बछड़े के अंडकोष नष्ट कर के उसे बैल बना दिया जाता है जोकि नपुंसक और शांत स्वभाव का होता है). 

अंडे सेवे कोईबच्चे लेवे कोई. जब मेहनत कोई और करे और उसका लाभ कोई दूसरा उठाए तो यह कहावत कही जाती है. इस कहावत को समझने के लिए कौए और कोयल की कहानी समझनी पड़ेगी. कोयल इतनी चालाक होती है कि कौए के घोंसले में अंडे दे आती है. कौआ बेचारा उन्हें अपने अंडे समझ कर सेता है. अंडे में से बच्चे निकलते हैं तो मालूम होता है कि वे कोयल के बच्चे हैं.

अंडे होंगे तो बच्चे बहुतेरे हो जाएंगे. इसका शाब्दिक अर्थ तो स्पष्ट ही है. इस का उदाहरण इस तरह दे सकते हैं- किसी व्यापार में बहुत नुकसान होता है लेकिन व्यापार बंद करने की नौबत नहीं आती. तो सयाने लोग बच्चों से कहते हैं – बेटा कोई बात नहीं! व्यापार बचा रहेगा तो बाद में बहुतेरा लाभ हो जाएगा.

अंत बुरे का बुरा. जो हमेशा सब का बुरा करता है उसका अंत भी बुरा ही होता है.

अंत भला तो सब भला. किसी कार्य में कितने भी उतार चढ़ाव या बाधाएं आएं, यदि अंत में कार्य सफलता पूर्वक संपन्न हो जाए तो यह कहावत कही जाती है. इंग्लिश में इसे इस प्रकार कहा जाता है All is well that ends well.

अंत भले का भला. जो सब का भला करता है अंत में उसका भला अवश्य होता है.

अंतड़ी का गोश्त गोश्त नहीं, खुशामदी दोस्त दोस्त नहीं. जिस प्रकार आंत को गोश्त नहीं माना जाता उसी प्रकार खुशामद करने वाले को दोस्त नहीं माना जा सकता.

अंतड़ी में रूपबकची में छब. भोजन आँतों में पचता है इसलिए कहा गया की अच्छा भोजन करने से रूप निखरता है और अच्छे कपड़े और गहने बक्से (बकची) में रखे जाते हैं इसलिए कहा गया कि सुन्दरता बकची में है.

अंतर अंगुली चार का झूठ सांच में होय. आँख और कान में चार अंगुल की दूरी होती है. आँख का देखा सच और कान का सुना झूठ. इंग्लिश में कहावत है – The eyes believe themselves, the ears believe others.

अंतर राखे जो मिले, तासों मिले बलाय. जो मन में अंतर रखता हो उस से मिलने की कोई जरूरत नहीं.

अंदर से काले, बाहर से गोरे. जो लोग अंदर से बेईमान और चरित्रहीन होते हैं और बाहर से बहुत ईमानदार होने का दिखावा करते हैं (सफेदपोश).

अंदर होवे सांच तो कोठी चढ़ के नाच. जिस के मन में सच हो उसे किसी का डर नहीं, वह छत पर चढ़ कर नाच सकता है. कोठी, कोठा – छत.

अंध कंध चढ़ि पंगु ज्यों, सबै सुधारत काज. पंगु – लंगड़ा. अंधा देख नहीं सकता और लंगड़ा चल नहीं सकता. यदि अंधे के कंधे पर लंगड़ा बैठ जाए तो दोनों एक दूसरे के पूरक हो जाते हैं.

अंधरी गैयाधरम रखवाली. अंधी गाय धर्म की रक्षा करने वाली होती है, अर्थात उसकी सेवा से विशेष पुण्य मिलता है. भाव यह है कि जो अत्यधिक दीन-हीन हो उसकी सेवा अवश्य करनी चाहिए. 

अंधा आगे ढोल बाजै, ये डमडमी क्या है. अंधे के आगे ढोल बजाओ तो वह कुछ नहीं समझ पाता. इसी प्रकार अज्ञानी व्यक्ति भी सामाजिक कार्यों और प्रकृति के क्रिया कलापों से अनभिज्ञ रहता है.

अंधा आगे रस्सी बंटेपीछे बछड़ा खाए. अंधा आदमी बेचारा बैठा बैठा रस्सी बंट रहा है और पीछे से बछड़ा उसे खाता जा रहा है. सरकार अंधी हो तो जन हित के कामों का यही अंजाम होता है. 

अंधा एक बार ही लकड़ी खोता है. अंधे की लकड़ी अगर खो जाए तो उसे इतनी परेशानी होती है कि वह आगे से उसका बहुत ध्यान रखता है. तात्पर्य है कि कोई बड़ी गलती एक बार हो जाने पर व्यक्ति आगे के लिए विशेष रूप से सतर्क हो जाता है. 

अंधा और बदमिजाजअंधा व्यक्ति काफी कुछ दूसरों की सहायता पर निर्भर होता है इसलिए उसे विनम्र होना चाहिए. यदि वह बदमिजाज होगा तो कोई उस की सहायता क्यों करेगा.

अंधा कहे ये जग अंधा. किसी व्यक्ति में कोई कमी हो और वह बहस करे कि यह कमी तो सब में है.

अंधा किसकी तरफ उंगली उठाए. अंधा खुद कुछ नहीं देख सकता इसलिए किसी पर आरोप नहीं लगा सकता.

अंधा क्या चाहे दो आँखे. अंधे व्यक्ति की सबसे बड़ी इच्छा होती है की उसे दो आँखें मिल जाएं. व्यक्ति को जिस चीज़ की अत्यधिक आवश्यकता है यदि वही देने के लिए आप उससे पूछें तो यह कहावत कही जाएगी.

अंधा क्या जाने बसंत की बहार. वसंत ऋतु में प्रकृति का सौंदर्य अद्भुत होता है, पर जो बेचारा अंधा है वह तो उसका आनंद नहीं ले सकता. श्री कृष्ण की बाल लीलाओं के वर्णन में जो रस की प्राप्ति होती है उसे अधर्मी और विधर्मी लोग कैसे जान सकते हैं.

अंधा गाए बहरा बजाए. जहाँ दो अयोग्य व्यक्ति मिल कर कोई काम करें.

अंधा गुरू बहरा चेलामागें गुड़ देवे धेला (मांगे हरड़ दे बहेड़ा). न गुरु को चेले में कोई कमी दिखती है, न चेले को गुरु की कोई बात समझ में आती है और दोनों एक से बढ़ कर एक हैं. 

अंधा घोड़ा थोथा चना, जितना खिलाओ उतना घना. गरीब और अपाहिज व्यक्ति को जो कुछ भी मिल जाए वही उस के लिए बहुत है.

अंधा घोड़ा बहिर सवार, दे परमेसुर ढूँढ़नहार. घोड़ा अंधा होगा तो कहां का कहां पहुंचेगा, सवार बहरा होगा तो किसी से रास्ता कैसे पूछेगा, ऐसी जोड़ी की तो भगवान ही सहायता कर सकता है. 

अंधा चूहाथोथे धान. चूहा यदि अँधा होगा तो उसे खोखले धान ही खाने को मिलेंगे. योग्य या असहाय व्यक्ति को घटिया चीज़ से ही काम चलाना पड़ता है. 

अंधा जाने अंधे की बला जाने. माना कि अंधे व्यक्ति को बहुत परेशानियाँ हैं लेकिन मैं भी किस किस के लिए और कहाँ तक परेशान होऊं. जिस को परेशानी है वही निबटे.

अंधा जाने आँखों की सार. आँखों की कीमत क्या है यह अंधा ही जान सकता है. व्यक्ति को जो सुख सुविधाएँ मिली हुई हैं उनकी कीमत वह नहीं समझता.

अंधा तब पतियाए जब दो आँखें पाए. अंधा व्यक्ति किसी बात पर तभी पूरी तरह विश्वास कर सकता है जब वह स्वयं उसे देख ले, अर्थात वह संतुष्ट तभी होगा जब उसे दो आँखें मिल जाएं. पतियाना – विश्वास करना 

अंधा देखे आरसी, कानी काजल देय. अपात्र को कोई वस्तु मिल जाना. अंधे के लिए आरसी (छोटा दर्पण) और कानी के लिए काजल की कोई उपयोगिता नहीं है.

अंधा बगुला कीचड़ खाय. मजबूरी में इंसान को बहुत कुछ सहन करना पड़ता है. अंधा बगुला मछली नहीं पकड़ सकता इसलिए बेचारा कीचड़ खाने पर मजबूर हो जाता है.

अंधा बजाज कपड़ा तौल कर देखे. अंधा बजाज कपड़े को देख नहीं सकता तो हाथ में उठा कर उसके वजन से अंदाज़ लगाता है कि यह कौन सा कपड़ा है.

अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपनेहु देय. स्वार्थ में अंधा व्यक्ति जब कुछ भी बांटता है तो अपने को या अपनों को ही देता है.

अंधा मुर्गा थोथा धानजैसा नाई वैसा जजमान. अंधे मुर्गे को खोखले धान ही खाने को मिलेंगे. नाई घटिया होगा तो उसे जजमान भी घटिया मिलेंगे.

अंधा मुल्लाटूटी मस्जिद. मुल्ला जी अंधे होंगे तो मस्जिद में जो भी टूट फूट होगी उसे दिखाई नहीं देगी. यदि घर का मुखिया अयोग्य और लापरवाह है तो घर में सब ओर अव्यवस्था दिखाई देगी.

अंधा राजा बहिर पतुरिया, नाचे जा सारी रात. पतुरिया – वैश्या या नर्तकी. भारी अव्यवस्था की स्थिति. राजा अंधा है उसे कुछ दिखता नहीं है और नर्तकी बहरी है वह न संगीत सुन सकती है और न कोई आदेश. लोकतंत्र में विधायिका और कार्यपालिका की कुछ ऐसी ही दशा है.

अंधा शक्कीबहरा बहिश्ती. बहिश्त माने स्वर्ग. बहरे को बहिश्ती कहा गया क्योंकि वह कुछ सुनता ही नहीं है, लिहाजा भलाई बुराई से दूर रहता है. अंधे को कुछ दिखाई नहीं देता इसलिए वह हर आहट पर शक करता है. 

अंधा सिपाही कानी घोड़ीविधि ने खूब मिलाई जोड़ी. दो अयोग्य व्यक्ति मिल कर कोई काम कर रहे हों तो उन का मज़ाक उड़ाने के लिए यह कहा जाता है.

अंधा हाथी अपनी ही फ़ौज को मारे (लेंड़ा हाथी अपनी ही फ़ौज मारे). हाथी अंधा होगा या डरपोक होगा तो इधर उधर भाग कर अपनी सेना को ही कुचलेगा. 

अंधाधुंध की सायबीघटाटोप को राज. सायबी – शासन. मूर्ख राजा के राज में कुटिल लोगों की बन आती है.

अंधाधुंध के राज में गधे पंजीरी खाएँ. जिस देश में बेईमानी और अराजकता हो वहाँ अयोग्य व्यक्तिओं की चांदी हो जाती है. 

अंधाधुंध मनोहरा गाए. बिना किसी की परवाह किए कोई बेतुका काम करते जाना.

अंधियारे में परछाईं भी साथ छोड़ देती है. बुरे दिनों में निकट संबंधी भी साथ नहीं देते.

अंधी आँख में काजल सोहे, लंगड़े पाँव में जूता. अपात्र को सुविधाएं मिलना.

अंधी घोड़ी खोखला चनाखावे थोड़ा बिखेरे घना.  घोड़ी अंधी है इसलिए खा कम रही है, बिखेर ज्यादा रही है. (मूर्ख या अहंकारी व्यक्ति वस्तु का उपयोग कम और बर्बादी अधिक करता है).

अंधी देवियाँलूले पुजारी. अयोग्य गुरु या शासक और उसके उतने ही नालायक चमचे. आजकल के परिप्रेक्ष्य में कुछ राजनैतिक दलों के विषय में ऐसा कहा जा सकता है.

अंधी नाइनआइने की तलाश. कोई आदमी ऐसी चीज़ मांग रहा हो जिस का उस के लिए कोई उपयोग न हो.

अंधी पीसे कुत्ते खाएँ. चाहे घर की व्यवस्था हो या व्यापार हो, यदि आप आँखें बंद किए रहंगे तो चाटुकार लोग, धोखेबाज लोग और नौकर चाकर सब खा जाएंगे.

अंधी पीसे पीसनाकूकुर घुस घुस खातजैसे मूरख जनों काधन अहमक ले जात. ऊपर वाली कहावत की भांति.

अंधी भैंस वरूँ में चरे. वरूँ – जहां घास कम हो. मूर्ख या अभागे आदमी को अच्छे अवसरों की पहचान नहीं होती इसलिए वह उनसे वंचित रहता है. 

अंधी मां निज पूतों का मुँह कभी न देखे. किसी अभागे व्यक्ति के लिए. 

अंधे अंधा ठेलिया दोनों कूप पड़ंत (अंधे को अंधा राह दिखाए तो दोनों कुँए में गिरते हैं). अर्थ स्पष्ट है. कम से कम एक तो आँख वाला होना चाहिए.

अंधे का हाथ कंधे पे. अंधे को हमेशा किसी का सहारा लेना पड़ता है.

अंधे की गुलेल कहीं भी लगे. अंधा गुलेल चलाएगा तो पत्थर किसी को भी लग सकता है. मूर्ख और अहंकारी व्यक्ति के हाथ में ताकत आ जाए तो वह कुछ भी नुकसान पहुँचा सकता है.

अंधे की जोरू का राम रखवाला. अत्यधिक दीन हीन व्यक्ति का ईश्वर ही सहारा होता है.

अंधे की दोस्ती, जी का जंजाल. अंधे से दोस्ती करो तो हर समय उस की सहायता करनी होती है. लाचार व्यक्ति की सहायता करने में बहुत मुसीबतें हैं. 

अंधे की पकड़ और बहरे को बटकोराम छुड़ावे तो छुटे नहीं तो सर ही पटको. बटका – दांतों की पकड़. अंधा आदमी बहुत कस के पकड़ता है और बहरा आदमी बहुत जोर से काटता है.

अंधे की बीबी देवर रखवाला. अंधे की पत्नी की रखवाली अगर किसी भी पर पुरुष को सौंप दी जाएगी (चाहे वह देवर ही क्यों न हो) तो खतरा हो सकता है.

अंधे की मक्खी राम उड़ावे. निर्बल का सहारा भगवान.

अंधे की लुगाई, जहाँ चाहे रमाई. अंधे की पत्नी यदि कोई गलत कार्य करे तो अंधा उसे रोक नहीं सकता. यहाँ अंधे से अर्थ केवल आँख के अंधे से ही नहीं, अक्ल के अंधे से भी है.

अंधे कुत्ते को खोलन ही खीर. खोलन – मूर्ति पर चढ़ाया जाने वाला दूध मिला जल. मजबूर आदमी को जो मिल जाए उसी में संतोष करना पड़ता है.

अंधे के आगे दीपक. अंधे को दीपक दिखाना या मूर्ख को ज्ञान देने का प्रयास करना बराबर है.

अंधे के आगे रोवेअपने नैना खोवे. यदि कोई व्यक्ति बहुत परेशानी में है और किसी के आगे रो रहा है तो उसको देख कर दूसरे को दया आ जाती है और वह उसकी सहायता करने का प्रयास करता है. लेकिन यदि आप किसी अंधे के सामने रोएंगे तो उसे कुछ दिखेगा ही नहीं. आप रो रो कर अपनी ही आँखें खराब करेंगे. कहावत के द्वारा यह समझाया गया है कि ऐसे आदमी के सामने फरियाद करने से कोई फायदा नहीं जो अक्ल का अंधा हो या अहंकार में अंधा हो.

अंधे के लिए हीरा कंकर बराबर. हीरे की चमक को आँखों से ही देखा जा सकता है, टटोल कर नहीं. कहावत का अर्थ है कि अक्ल के अंधे लोग उत्तम और निम्न प्रकार के मनुष्यों और वस्तुओं में भेद नहीं कर सकते.

अंधे के हाथ बटेर लगी. अंधा व्यक्ति लाख कोशिश करे बटेर जैसे चंचल पक्षी को नहीं पकड़ सकता. अगर किसी अयोग्य व्यक्ति को बैठे बिठाए, बिना प्रयास करे कोई बड़ी चीज़ मिल जाए तो ऐसा कहते हैं.

अंधे के हाथ से लकड़ी मरने पर ही छूटती है. बहुत आवश्यक वस्तु को जीवन भर साथ रखना व्यक्ति की मजबूरी है, जैसे अंधे के लिए लकड़ी, लंगड़े के लिए बैसाखी, दृष्टि बाधित के लिए चश्मा इत्यादि. आजकल के युग में दवाओं को भी इस श्रेणी में रख सकते हैं.

अंधे के हिसाब दिन रात बराबर. शाब्दिक अर्थ स्पष्ट है. अंधे को क्योंकि दिन में भी नहीं दिखता इसलिए उसके लिए दिन और रात बराबर हैं. कोई मूर्ख व्यक्ति किन्हीं दो बिलकुल अलग अलग बातों में अंतर न समझ पा रहा हो तब भी मज़ाक में ऐसा कह सकते हैं.

अंधे को अँधेरे में बहुत दूर की सूझी. कोई मूर्ख आदमी मूर्खतापूर्ण योजना बना रहा हो तो उसका मज़ाक उड़ाने के लिए ऐसा कहा जाता है.

अंधे को अंधा मिला, कौन दिखावे राह. अंधे को अंधा रास्ता नहीं दिखा सकता. अज्ञानी मनुष्य को कोई ज्ञानवान ही रास्ता दिखा सकता है. 

अंधे को भागने की क्यों पड़ी. जो काम आप बिलकुल ही नहीं कर सकते उसे क्यों करना चाहते हैं.

अंधे को सूझे कंधेरे का घर. कंधेरा – जिस के कंधे पर हाथ रख कर चला जाए. अंधे को किसी के कंधे पर हाथ रख कर चलना पड़ता है. वह बेचारा अंधा होते हुए भी उस का घर ढूँढ़ लेता है. जिस से हमें सहारा मिलता है उसे हम कैसे भी खोज लेते हैं. 

अंधे ने चोर पकड़ादौड़ियो मियां लंगड़े. असंभव और हास्यास्पद बात.

अंधे मामा से काना मामा अच्छा. कुछ नहीं से कुछ अच्छा.

अंधे रसियाआइने पे मरें. किसी व्यक्ति द्वारा ऐसी वस्तु की मांग करना जो उसके किसी उपयोग की न हों.

अंधे वाली सीध. किसी ने टेढ़ा मेढ़ा कुछ बनाया हो उस का मजाक उड़ाने के लिए.

अंधे ससुरे से घूँघट क्या. जब ससुर बहू को देख ही नहीं सकता तो बहू को घूँघट की क्या आवश्यकता.

अंधे से रास्ता क्या पूछना. जिसे स्वयं नहीं दिखता वह किसी को रास्ता क्या बताएगा. जो स्वयं मूर्ख होगा वह किसी को क्या ज्ञान देगा.

अंधेर नगरी चौपट राजाटके सेर भाजी टके सेर खाजा. एक गुरु और चेला घूमते घूमते एक ऐसे शहर में पहुंचे जहां भाजी (सब्जी) भी टके सेर बिक रही थी और खाजा (एक बढ़िया मिठाई) भी. चेला बोला यह तो बहुत अच्छी जगह है, मैं तो यहीं रहूँगा. गुरु जी ने समझाया कि यहाँ रहना खतरे से खाली नहीं है, पर चेला नहीं माना. एक बार उस शहर में एक ककड़ी चुराने वाले को फांसी की सजा सुनाई गई. चोर की गर्दन फांसी के फंदे में फिट नहीं आई तो कोई ऐसा आदमी ढूँढा गया जिसकी गर्दन फंदे में फिट आ जाए. इत्तेफाक से चेले की गर्दन फंदे के नाप की पाई गई तो उसे फांसी देने की तैयारी कर ली गई. अब उसने गुरुजी को याद किया तो गुरुजी ने आ कर उसे बचाया. इस प्रकरण पर यह कहावत बनाई गई जिसका प्रयोग किसी देश व समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, अन्याय और अराजकता को दर्शाने के लिए किया जाता है.

अंधेरी रात में मूंग काली. अंधेरे में हरी मूंग भी काली दिखाई देती है. अज्ञान के अंधेरे में भी मनुष्य को सत्य का भान नहीं हो पाता.

अंधेरी रैन में रस्सी भी सांप. अँधेरे में व्यक्ति डरने लगता है. व्यक्ति अगर अज्ञान रूपी अन्धकार से घिरा हो तब भी वह छोटी छोटी सांसारिक विपदाओं से डरने लगता है.

अंधेरे घर में धींगर नाचें. 1. जहाँ न्याय व्यवस्था के अभाव में दबंग लोग मनमानी करें, (धींगर – लम्बा चौड़ा आदमी, भूत) 2. अवैज्ञानिक सोच और अज्ञान के अंधकार में तरह तरह के डर पैदा होते हैं.

अंधेरे घर में सांप ही सांप. इसका अर्थ भी ऊपर की दोनों कहावतों के समान ही है.

अंधेरे में भी हाथ का कौर कान में नहीं जाता. अंधेरे में भी ग्रास मुंह में ही जाता है. अपने स्वार्थ की बात हर परिस्थिति में ठीक से समझ में आती है.

अंधों की दुनिया में आइना न बेच. शाब्दिक अर्थ तो साफ़ ही है. यहाँ अंधे से अर्थ मूर्ख और अहंकारी लोगों से है. आइने में अपनी वास्तविक शक्ल दिखाई देती है जिसे मूर्ख और अहंकारी लोग देखना नहीं चाहते. यहाँ आइने से मतलब आत्म चिंतन से भी है जोकि अहंकारी लोग बिलकुल पसंद नहीं करते.

अंधों द्वारा हाथी का वर्णन. मूर्खो द्वारा किसी महान चीज़ को तुच्छ बताया जाना. एक बार चार अंधों से हाथी का वर्णन करने को कहा गया. एक अंधे ने हाथी की सूँड़ पकड़ी – वह बोला हाथी तो सांप जैसा है, दूसरे ने हाथी की पूँछ पकड़ी – वह बोला नहीं हाथी रस्सी जैसा है, तीसरे ने हाथी के पैर को टटोल कर देखा – बोला नहीं! हाथी खम्बे जैसा है, चौथे के हाथ में हाथी का कान आया – वह बोला तुम सब गलत कह रहे हो, हाथी सूप जैसा है. ऐसा कह कर वे आपस में लड़ने लगे. 

अंधों ने गांव लूटादौड़ियो बे लंगड़े. अनहोनी बात. कोई मूर्खता पूर्ण अतिश्योक्ति कर रहा हो तो उस का मजाक उड़ाने के लिए.

अंधों में काना राजा. जहाँ सभी लोग मूर्ख हों वहाँ थोड़ी सी अक्ल रखने वाले व्यक्ति की पूछ हो जाती है

information source :Dr. Sharad Agrawal 

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