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कालपी ने साबित किया वेस्टर्न थ्योरी को गलत !
कालपी की बात करने से पहले आइये देखते हैं हम किस थ्योरी की बात कर रहे हैं। दुनियाभर के शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों का मानना है की मानव जाती अपने शुरुआती समय यानी पाषाड़काल(Stoneage) में गुफाओं और पहाड़ों पर रहती थी और नदी किनारे आवास और खेती करना बहुत बाद,कई हजार साल बाद शुरू किया।
तो यह तो बात हुई थ्योरी की
अब थोड़ा सा जान लें पाषाड़काल के बारे में :-
पाषाड़काल का एक हिस्सा है पैलैओलिथिककाल, जो पाषाड़काल का वह समय कहलाता है जब मानवजाति ने पत्थर के औज़ार बनाकर उपयोग करना शुरू किया था । जो की करीब २। 5 मिलियन साल से लेकर 10,000 BC तक माना जाता है।
अब बात करते हैं कालपी का इस सब से क्या लेना देना है
कालपी भारत के उत्तर प्रदेश का एक छोटा सा शहर है जो यमुना नदी के किनारे बसा है। 1998 के आर्केओलॉजिकल सर्वेक्षण के दौरान कुछ चौकाने वाले तथ्य सामने आये। पुरातत्व विभाग ने जब यमुना नदी और उसके आसपास की जगह का निरीक्षण किया और खुदाई करवाई तो उन्हें 3। 4 मीटर यानी करीब 2 इंचीटेप की लम्बाई के बराबर का हाथी दांत मिला। विशेषज्ञों का कहना है की वह जगह प्राचीन अवशेषों और पत्थर के औज़ारों से भरी है जो की करीब 40,000 से 45,000 साल पुराने बताये जा रहे हैं। कालपी के पुरातात्विक सर्वेक्षण के बाद आर्केओलॉजिस्ट्स ने बताया की इस जगह का इतिहास पैलैओलिथिककाल, का है। जो बहुत चौकाने वाली बात है। यहाँ से प्राप्त औज़ारों में कई हथियार भी हैं जैसे तीर के सिरे,चाकू आदि जो की हड्डियों को तराश के बनाये गए थे यही नहीं इन औज़ारों को मज़बूती प्रदान करने के लिए इन्हे आग में पकाया भी गया था। इस में हैरानी की बात यह थी की जब दुनियाभर के शोधकर्ताओं का यह कहना है की मानव पाषाड़ काल में नदी किनारे नहीं रहते थे। वह वहां रहते थे जहाँ उन्हें शिकार करने के लिए मजबूत पत्थर मिलते थे और आसानी से भोजन मिलता और नदी किनारे रहना मानवजाति ने बहुत बाद में शुरू किया जब उसे खेती करनी आ गयी। तो फिर कालपी में पाषाड़कालीन अवशेष कैसे????
और इस थ्योरी के बिलकुल विपरीत हमारे भारत के कालपी में यह अवशेष इस बात का प्रमाण हैं की मानव पाषाड़ काल के पैलैओलिथिककाल में भी नदी किनारे रहते थे, शिकार करते थे और औज़ार सिर्फ पत्थरों से ही नहीं जानवरों की हड्डियों को तराश कर उन्हे सीधी आग में भी पका कर मजबूत भी बनाना जानते थ।
हमारे भारत का इतिहास इतना पुराना है की दुनिया उसकी कल्पना भी नहीं कर सकती। बार बार पुरातात्विक खोजें यह साबित करती रही हैं की इतिहास से जुड़ी कई वेस्टर्न थेओरीज़ गलत हैं और हमारे देश की प्राचीन सभ्यताओं से जुड़े तथ्यों को और गहरायी से खोदने,समझने और दुनिया के सामने लाने की आवश्यकता है।।।।।
info creditm.timesofindia.com
pic credit:npr.org
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