बरेली का रामपुर बाग या रामपुर गार्डन , कैसे पड़ा इसका नाम ,आइये जानते है । RAMPUR GARDEN ,BAREILLY
बरेली का रामपुर बाग या रामपुर गार्डन , कैसे पड़ा इसका नाम ,आइये जानते है ।। RAMPUR GARDEN ,BAREILLY
बात है 1857 की क्रांति के दौर की , जब अंग्रेजों की गुलामी की बेड़ियों को बरेली के जांबाज़ तोड़ डालने को आतुर थे । बरेली के जांबाज़ों ने अंग्रेजो को खदेड़ने के लिए कमर कस ली थी ,और पूरी शक्ति के साथ आजादी के लिए स्वतंत्रता का बिगुल बजा दिया । रूप इतना भयंकर था बरेली के जांबाजों का कि अंग्रेजी हुकूमत डोल गयी , और एक समय ऐसा आया की लगा शायद अंग्रेजी हुकूमत बरेली से सदा के लिए मिट जाएगी ,परन्तु तभी मुरादाबाद के समीप ,रामपुर के नवाब ने अपनी सेना के साथ अंग्रेजों का साथ दे दिया ।
चूँकि सेना बड़ी थी तो इससे अंग्रेजों का पलड़ा भारी हो गया और उन्होंने बड़ी कठोरता के साथ इस आजादी की लड़ाई को दबा दिया और जांबाजों को फांसी के तख्ते पर लटका दिया । इस जीत से अंग्रेज रामपुर के नवाब से खुश हो गये और उन्होंने यह पूरा क्षेत्र जो पहले मकरन्द राय खत्री का था ,उसे रामपुर के नवाब को पुरस्कार के रूप में दे दिया । इस क्षेत्र में हजारों आम के पेड़ हुआ करते थे तथा बहुत बड़ा बाग़ हुआ करता था, इसी कारण इसका नाम पड़ा रामपुर बाग़ जो की रामपुर के नवाब का था।
आजादी के बाद में रामपुर के नवाब ने यहाँ की जयादातर जमीन को सामजिक कामों के लिये दान दे दिया जिसमे आजकल एलन क्लब , बरेली कॉलेज ,मिशन अस्पताल ,गवर्नमेंट स्कूल,पोस्ट ऑफिस आदि बने । बाद में यहाँ की बाकी बची जमीन को कई लोगों को बेच दिया गया जिन्होंने यहाँ शानदार कोठियाँ बनाई । अब यहाँ कही भी कोई भी बाग़ नहीं है ,बस आलिशान कोठियाँ नजर आती हैं । पोस्ट को शेयर जरूर करे ताकि बरेली का इतिहास दुनिया तक पहुंचे
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