Bareilly, kutubkhana ghantaghar
bareilly, khutubkhana का नाम कैसे पड़ा ,कुतुबखाने का इतिहास
एक समय की बात है जब बरेली के कुतुबखाना चौराहे पर टाउन हॉल हुआ करता था जो शहर की शान हुआ करता था जहां अंग्रेज़ों के समय में एक पुस्तकालय हुआ करता था। जिसके बारे में बताया जाता है की इस भवन पर बिजली गिरी थी और भवन नष्ट हो गया था और वहाँ बड़ा सा घंटा घर बना दिया गया लेकिन आज भी उस जगह और उसके आस पास के क्षेत्र को कुतुबखाना चौराहा या कुतुबखाना क्षेत्र के नाम से ही जाना जाता है। अंग्रेज़ों के समय में बरेली के मुख्य स्थान पर आम जनता और सरकारी कार्यों के लिए टाउन हॉल भवन का निर्माण हुआ था। क्यूंकि कुतुबखाने को सरकारी कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता था इसलिए वहाँ म्युनिसिपेलिटी की बोर्ड मीटिंग भी हुआ करती थीं। आर्य समाज गली के सामने बने इस टाउन हॉल में 1868 में एक पुस्तकालय की स्थापना की गयी जो आगे चल कर कुतुबखाने के नाम से प्रसिद्द हुआ।
म्युनिसिपेलिटी की पहली बोर्ड मीटिंग
info credit: बरेली अपडेट -Prof. Giriraj Nandan
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