No icon

facts and myths about fruits

facts and myths about fruits, फल व जूस ( fruits and juices )

फलों के विषय में सामान्य लोगों को बहुत से अंध विश्वास होते हैं. लोग समझते हैं कि फलों में बहुत ताकत होती है. गरीब लोग भी दूध, अंडा व दाल जैसे उपयोगी पदार्थों को छोड़ कर अनार व मौसमी जैसे महंगे फल या उनका जूस खरीदने में पैसा खर्च कर देते हैं. सच यह है कि फलों से हमें प्रोटीन व कैल्शियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व नहीं मिलते. आइरन भी सेब के अतिरिक्त अन्य फलों में बहुत कम होता है. फलों में जो उपयोगी पदार्थ हैं वे हैं विटामिन्स, मिनरल्स, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर. ये सब चीजें हमें सब्जियों से भी मिल जाती हैं. जीव विज्ञान की भाषा में लौकी, बैंगन, टमाटर आदि भी फल हैं. इनमें भी उतने ही विटामिन होते हैं.

ऐसा नहीं है कि फल खाने से लाभ नहीं होता है. लेकिन संतुलित भोजन में फल व सब्जियों का बराबर का महत्व है. फलों के विषय में जितना अंधविश्वास पाया जाता है और फल जितने महंगे हैं उनसे उतना लाभ नहीं है. स्वास्थ्य के लिए दूध से बनी चीजें, दालें व अंडे अधिक आवश्यक हैं. फलों से अधिक अंध विश्वास लोगों में जूस के प्रति पाया जाता है. लोग समझते हैं कि जूस पीने से ताकत आती है. बीमार व्यक्ति को तो विशेष रूप से जूस पिलाया जाता है. अधिकतर लोगों को यह अंधविश्वास होता है कि अनार से खून बनता है.वे समझते हैं कि लाल अनार में आयरन होता है. इस कारण से लाल अनार सफ़ेद के मुकाबले दोगुने दाम में बिकता है. जिस किसी को डॉक्टर खून की कमी बताते हैं वह तुरंत जा कर अनार का जूस पीने लगता है. सच यह है कि अनार में आइरन बिलकुल नहीं होता है.

बहुत से लोगों को यह अंध विश्वास होता है कि सेब, मौसमी, अनार विशेष लाभकारी हैं. यह सच नहीं है. जिस मौसम में जो फल व सब्जियां ताजे आते हैं वे अधिक लाभ करते हैं. उनमे आप को अधिक विटामिन्स व मिनरल्स मिलेंगे. फलों का जूस पीने के स्थान पर पूरा फल खाना अधिक लाभप्रद है क्योंकि फलों के गूदे में भी बहुत से गुण होते हैं. इसके अतिरिक्त जूस पीने से कुछ नुकसान भी संभव है –

  1. पहले के समय में सादे खानपान के कारण हमारे देश में लोगों को एसिडिटी की शिकायत नहीं होती थी. अब खानपान की खराबी (चाय, मिर्च, गरम मसाला, खटाई, टमाटर, तम्बाखू व शराब) के कारण लगभग सभी लोगों को एसिडिटी की शिकायत है. जूस पीने से काफी मात्रा में साइट्रिक एसिड एक साथ पेट में पहुँच जाता है. इससे एसिडिटी और बढ़ जाती है. बुखार इत्यादि में एसिडिटी बढ़ने से और अधिक परेशानियाँ हो सकती हैं.
  2. जूस में फ्रक्टोज नामक शुगर अत्यधिक मात्रा में होती है. बाज़ार में जूस बेचने वाले अक्सर उसमें शरबत भी मिला देते हैं. इससे डायबिटीज के रोगियों में शुगर बढ़ जाती है. अधिक मात्रा में फ्रक्टोज आँतों में पहुँचने से कुछ लोगों को दस्त भी हो जाते हैं. जिन्हें पहले से ही दस्त हो रहे हों उन्हें विशेष कर जूस नहीं पीना चाहिए.
  3. बाजार में निकले जूस में गंदगी होने की बहुत अधिक संभावना होती है. गंदगी से बहुत से रोग फ़ैल सकते हैं – जैसे डायरिया, डीसेन्ट्री, कालरा, पीलिया, टायफाइड, पेट के कीड़े इत्यादि.
  4. आज कल फलों को पैदा करने और पकाने में तरह तरह के केमिकल व कीटनाशक प्रयोग किए जाते हैं जो कि नुकसान पहुंचा सकते हैं. सेब के ऊपर लोग वैक्स लगा देते हैं. कुछ फलों पर जहरीले आर्टिफीशियल कलर्स भी लगा दिए जाते हैं.
  5. उपज बढ़ाने के लिए अधिकतर फलों के हाइब्रिड तैयार किए गए हैं जिनके गुण मूल फलों से भिन्न होते हैं – जैसे अनार और मौसमी अब अधिकतर खट्टे ही मिलते हैं. फलों के ट्रांसपोर्टेशन के लिए उन्हें बहुत कच्ची अवस्था में ही तोड़ लिया जाता है और फिर तरह तरह के जायज़ और नाजायज़ तरीकों से पकाया जाता है.

विशेष:– छिलके वाले फल जैसे केला, पपीता, संतरा, खरबूजा इत्यादि से इन्फैक्शन का डर नहीं होता क्योंकि छिलका उतारने के बाद यह अन्दर से साफ़ निकलते हैं. साबुत खाए जाने वाले फलों के ऊपर गंदगी, कीटाणु, केमिकल्स एवं कीटनाशक लगे होते हैं इसलिए उनसे इन्फैक्शन व अन्य कई नुकसान होने का डर होता है, विशेषकर अंगूर से सबसे अधिक पेट व गले के इन्फैक्शन होते हैं.

आज कल कीवी फल को लेकर एक नया अंधविश्वास लोगों में पैदा हुआ है. लोग समझते हैं कि इस को खाने से रक्त में प्लेटलेट बढ़ जाती हैं. इस कारण से डेंगू बुखार के मरीजों को कीवी फल खिलाया जाता है. कीवी के खाने से प्लेटलेट तो नहीं बढ़तीं उल्टे इसके खट्टा होने के कारण बुखार के मरीजों में गले का इन्फेक्शन और एसिडिटी जैसी परेशानियाँ पैदा होती हैं. एसिडिटी के बढ़ने से डेंगू के मरीजों में रक्तस्राव (bleeding) की सम्भावना बढ़ जाती है.

समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में खाद्य पदार्थों, पेय पदार्थों और घरेलू नुस्खों के विषय में बिलकुल अवैज्ञानिक बकवास छपती है जिसे लोग सच मान लेते हैं.

info by: Dr Sharad Agrawal

for more health related article please visit www.healthhindi.com

 

Comment