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बांस और कंडाली के उद्पाद, kandali a natural fiber from Himalya

बिच्छू घास (कंडाली) है नए दौर का प्राकृतिक फाइबर

हिमालय पर्वत की तलहटी में स्थित उत्तराखंड बांस और फाइबर विकास बोर्ड, बांस और कंडाली उद्पादों का एक ऐसा महत्वपूर्ण संग्रह मंच है जो उत्तराखंड के प्राकृतिक सम्पदा को बेहतरीन तरीके से दुनिया के सामने पेश करता और बढ़ावा देता है। 
इसके मुख्य उत्पादों में बांस और कंडाली घास के लैंप हैं, जिन्हे उत्तराखंड के पारंपरिक कारीगरों ने बड़ी सजगता से तैयार किया है। प्रत्येक लैंप को हिमालय क्षेत्र में मिलने वाले कंडाली फाइबर कपडे को नाजुक दांग से काटकर तथा बड़ी बारीकी से बुना जाता है।नरम व गर्म चमक उत्सर्जित करते हुए ये अंडाकार लैंप सहजता से प्रकृति की चमक को किसी भी मॉडर्न जगह में मिला देते हुए प्रकृति के करीब एक सुकून भरा दृश्य बना देते हैं। 
पर्यावरण -हितैषीऔर सतत्त जीवनशैली को अपनाते हुए उत्तराखंड बांस बोदर अपनी उत्पाद श्रंखला में सुंदर बांस की बानी पानी की बोतल भी जोड़ी हैं। उच्च गुणवत्ता वाले असली बांस के खोल में बंद, यह बोतल एक टिकाऊ स्टेनलेस-स्टील निर्माण का दवा करती है, जो प्लास्टिक कचरे को कम करते हुए लम्बे समय तक चलने की गारंटी देती है। यह स्टाइल और स्टेबिलिटी का एक आदर्श उत्पाद है।  
प्राकृतिक टेक्सटाइल्स की दिशा में आगे बढ़ते हुए उत्तराखंड बांस बोर्ड "कंडाली" को एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक फाइबर के रूप में दुनिया के सामने लाया है।  हिमालय के पहाड़ों में, समुद्र तल से १२०० से २९०० मीटर की ऊंचाई के बीच कंडाली एक बारहमासी पौधा है जिसमे असीमित संभावनाएं छुपी हैं।  
कंडाली घास के फाइबर से कपडे बनाने की परंपरा हजारो साल पुरानी है, जो धीरे धीरे ख़त्म हो रही थी जिसे बांस बोर्ड ने पुनः जीवित किया है और हमे अपने देश की इस परंपरा पर गर्व होना चाहिए और आने वाले समय में ये पपम्परा नष्ट न होजाए इसलिए हमे इस कला को प्रोत्साहित भी करना चाहिए क्यूकी इस प्राकृतिक फाइबर के कई गुण है जैसे थर्मल गुण, रोगाणुरोधी गुण और इसके बने कपड़ों पर सिलवटें न आने के गुण के कारण ये कपड़े स्टाइल और फैशन को एक नई परिभाषा देते हैं।  


info credit:Danik Jagran newspaper

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