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अकबर का सबसे बड़ा किला : ALLAHABAD FORT

अकबर का सबसे बड़ा किला : ALLAHABAD FORT

शहंशाह अकबर के बनाये हुए किले तो बहुत हैं, लेकिन आज हम जिस किले की बात कर रहे हैं, वो बादशाह अकबर के बनाये हुए किलों में सबसे बड़ा और खूबसूरत किला है, जिसे शहंशाह ने नाम दिया था "इलहाबास" जिस का मतलब होता है ऊपर वाले का आशिर्वाद ! और इसी के बाद उस जगह का नाम पड़ा अलाहाबाद.... जी हां दोस्तों हम बात कर रहे हैं अलाहाबाद फोर्ट की, जो अपने समय में सबसे उत्कृष्ट समझे जाने वाले किलों में से एक है जिस का निर्माण 1583 में किया गया था। अपने विशिष्ट बनावट, निर्माण और शिल्पकारिता के लिए जाना जाने वाला यह किला गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है। इस किले का इस्तेमाल अब भारतीय सेना द्वारा किया जाता है। आम नागरिकों के लिए कुछ हिस्सों को छोड़कर बाकी हिस्सों में प्रवेश वजिर्त है। ऐसा कहा जाता है कि किले में अक्षय वट यानी अमर वृक्ष है जो की किले के प्रतिबंधित क्षेत्र में है, और यहाँ पहुंचने के लिए अधिकारियों से विशेष अनुमति लेनी पड़ती है।इस के अलावा यहाँ पातालपुरी है जहाँ कुल 44 देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं, जहां लोग आज भी पूजा पाठ करते हैं। तथा एक सरस्वती कूप भी है ,लोगों की उत्सुकता इस किले में बनी सुरंग को लेकर हमेशा से रही है जिसका जिक्र धर्म ग्रंथों में भी मिलता है।

इस किले को 4 भागों में बांटा गया है। पहला भाग खूबसूरत आवास है, जो फैले हुए उद्यानों के बीच में है। यह भाग बादशाह का आवासीय हिस्सा माना जाता है। दूसरे और तीसरे भाग में अकबर का शाही हरम था और नौकर चाकर की रहने की व्यवस्था थी और चौथे भाग में सैनिकों के लिए आवास बनाए गए थे। इतिहासकारों के अनुसार इस किले का निर्माण राजा टोडरमल, सईद खान, मुखलिसखान,रायभरतदीन प्रयागदास मुंशी की देख-रेख में हुआ था।किले में पारसी भाषा में एक शिलालेख भी है,जिसमें किले की नींव पड़ने का सन 1583 दिया है। किले में एक स्तम्भ भी है जिस के बारे कहा जाता है की, जब बादशाह जहांगीर ने किले में मौर्यकालीन एक अशोक स्तंभ को पड़ा पाया तो उन्होंने उसे दोबारा स्थापित करवा दिया, यह अशोक स्तंभ 273 ईसा पूर्व का है। जिस पर चक्रवर्ती राजा समुद्रगुप्त ने अपनी कीर्ति अंकित कराई थी। इस पर सम्राट अशोक की राजाज्ञाओं व समुद्रगुप्त और जहांगीर की प्रशस्ति भी खुदी हुई है।

 

 

 

 

 

 

 

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