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इतनी सुन्दर थी ये कवियत्री कि, हर राजा उसे हासिल करना चाहता था : राय प्रवीण का महल , (ओरछा) मध्य प्र

इतनी सुन्दर थी ये कवियत्री कि, हर राजा उसे हासिल करना चाहता था : राय प्रवीण का महल , (ओरछा) मध्य प्रदेश ,rai praveen mahal orchha madhya pradesh

राजा रानियों के किस्से और महल तो आपको  हर जगह ही देखने और सुनने को मिल जायेंगे क्योंकि, राजा महाराजाओं के समय में यह बात बहुत आम थी की कोई राजा अपनी रानी के लिए सुन्दर महल बनवाता था , लेकिन आज हम जिस बारे में बात कर रहे हैं, वह किस्सा भी अलग है और वह महल भी अलग है, क्योंकि यहाँ बात किसी रानी की नहीं , बल्कि एक कवियत्री की है , जिसका नाम था राय प्रवीण जो की ओरछा के राजा इंद्रजीत  के दरबार की गायिका , कवियत्री ,नर्तकी होने के साथ साथ बेहद ही खूबसूरत थीं।

कहा जाता है की वह इतनी खूबसूरत थीं की राजा इंद्रजीत तो उनकी ख़ूबसूरती पर मोहित थे ही और अन्य जगहों पर भी उनकी ख़ूबसूरती के किस्से इतने फैल रहे थे की मुग़ल बादशाह अकबर भी उनको देखने के लिए उत्सुक हो गए और बादशाह अकबर ने राय प्रवीण को अपने दरबार में बुलवाया और उनकी ख़ूबसूरती देखकर अपने हरम में रखने का फैसला किया ,लेकिन राय प्रवीण मुग़ल बादशाह के हरम का हिस्सा नहीं  बनना चाहती थीं क्योंकि वह अपने राजा के प्रति पूर्ण समर्पित थीं

 

इसलिए उन्होंने  इस स्थिति से बाहर आने के लिए शहंशाह अकबर को अपने मन की बात बताने का एक अनोखा तरीका ढूंढा जिसमे उन्होंने शहंशाह के दरबार में एक कविता कही ,जिसकी पंक्तियाँ कुछ इस प्रकार से है " विनीत राय प्रवीण की सुनिए साहा सुजान , झूठी पातर भखत है बारी ,वियास , सुवान " जिसका अर्थ है की विनती राय प्रवीण की सुनिए हे राजा झूठी पत्तर मे से झूठा खाना , तो नीचे तबके के लोग, जानवर और पक्षी खाते हैं ।

ये दोहा सुनने के बाद शाहशाह अकबर उनकी बुद्धिमत्ता  और अपनी बात सामने रखने के तरीके से बहुत खुश हुए और उन्होंने राय प्रवीण को स-सम्मान राजा इंद्रजीत के पास वापस भेज दिया।उसके बाद राजा इंद्रजीत ने उनके लिए एक महल का निर्माण करवाया जिसका नाम (राय प्रवीण महल ) रख दिया । इस महल मे जगह जगह राय प्रवीण की अलग अलग मुद्राओं मे आकर्षित पेंटिंग्स बनी हैं और इसके आलावा इस महल के नीचे एक तोपखाना भी है और इसी वजह से ये महल ओरछा आने वाले पर्यटकों के लिए खास रूचि का केंद्र है । 

 

 

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